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8 مارچ 2023ء

  • 11:4611:46، 8 مارچ 2023ء فرق تاریخچہ +3,724 تبادلۂ خیال:وصی احمد قادری /* शब ए बरात _ रातों में है एक अहम रात है मुकद्दस है मुअज्जम है इबादत करने की रात कब्र ए कब्र मजारों पर जाने केलिए नहीं है महज़ गलियों में सरकों पर शोर मचाने की रात नही है शब ए बरात सच्चे दिल से तौबा करके खुदा से वादा करने की है रात न दौलत मांगने की न मिन्नत खुदा को राज़ी करने की है रात फरिश्तों की हजूम नहीं उतरते जमीन पर एक कहावत है जहां फरिश्ते का हजूम वहां लोफर आवारा नहीं होगा जमीन वो आसमान से ऊपर खामोश माहौल है अच्छे आचरण की आबादी में आवारा गर्दी नहीं होता जिस शख्स में इंसानियत... (ٹیگ: ترمیم از موبائل موبائل ویب ترمیم نیا موضوع)