"صارف:Abbas dhothar/تختہ مشق" کے نسخوں کے درمیان فرق

حذف شدہ مندرجات اضافہ شدہ مندرجات
«जेनोबिया» کے ترجمے پر مشتمل نیا مضمون تحریر کیا
«अमर ज्योति पत्रिका» کے ترجمے پر مشتمل نیا مضمون تحریر کیا
سطر 1:
# '''امر جیوتی پتریکا''' ایک روحانی ، معاشرتی اور خاندانی ماہانہ ہندی رسالہ ہے جو بشنوئی <ref>{{حوالہ ویب|url=https://www.bishnoism.org/|title=Bishnoism.Org - Bishnoism An Eco Dharma|accessdate=2020-04-25|archiveurl=https://web.archive.org/web/20170925015822/http://bishnoism.org/|archivedate=25 सितंबर 2017}}</ref> سبھا ، ہسار (ہریانہ) کے ذریعہ شائع اور چلایا جاتا ہے۔ اس رسالے کی تاریخ اور مقصد حسب ذیل ہیں: -<nowiki>''</nowiki>अमर ज्योति<nowiki>''</nowiki> पत्रिका का प्रकाशन एक साधारण घटना के परिणामस्वरूप हुआ। वर्ष 1949 ई0 में फाग वाले दिन आदमपुर मण्डी के किसी दुकानदार द्वारा भेजे गये पत्र के आधार पर एक मिथ्या घटना का <nowiki>''</nowiki>राष्ट्र दूत<nowiki>''</nowiki> (साप्ताहिक हिन्दी) हिसार में प्रकाशन हुआ। डा0 रामगोपाल जी (आदमपुर), जो उन दिनों दिल्ली में विद्यार्थी थे, उन्होंने वह समाचार पढ़कर श्री मनीराम बिश्नोई, एडवोकेट को पत्र भेजा कि हमें इस प्रकार की मिथ्या घटनाओं को अपनी ही पत्रिका द्वारा खण्डन करना चाहिए। पत्रिका प्रकाशन पर विचार करने के लिए उन्होंने दिनांक 16.4.1949 को एक बैठक बुलाने के लिए लिखा जिसमें पत्रिका प्रकाशन में रुचि रखने वाले सभी बिश्नोई बन्धुओं को बुलाया गया। दिनांक 16.4.1949 को हुई बैठक में चौ॰ श्रीराम जी जाणी (प्रधान), चौ॰ सोहनलाल जी जौहर (उप-प्रधान), डाॅ0 रामगोपाल जी, चौ॰ रामजस जी पूनिया (लान्धड़ी), चौ॰ पोकरराम जी गोदारा (बड़ोपल), मुन्शी बोगाराम जी जाणी (धान्सू), श्री मनीराम बिश्नोई एडवोकेट, चौ॰ लेखराम जी कालीराणा (आदमपुर), सूबेदार प्रेमनारायण जी पूनिया (मंगाली), नायब सूबेदार सोहनलाल जी गोदारा (लान्धड़ी), चौ॰ रामप्रताप जी जौहर (सीसवाल), चौ॰ मनीराम जी गोदारा (बड़ोपल), मा. हनुमान जी कालीराणा (काजलहेड़ी), का0 सहीराम जी जौहर (नवजीवन प्रिन्टिंग प्रैस, हिसार) तथा मुन्शी रामरख जी जाणी (मन्त्री) उपस्थित हुए। इस बैठक में पत्रिका प्रकाशन हेतु मौटे तौर पर विचार-विमर्श हुआ।
{{Infobox royalty|name=जेनोबिया<br>Zenobia<br>[[File:Btzby2.png|65x65px]]|predecessor2=शीर्षक बनाया गया|regnal name=सेप्टिमिया ज़ेनोबिया ऑगस्टा|full name=सेप्टिमिया ज़ेनोबिया (बैट-ज़ाबाई)|issue={{unbulleted list
|[[वैबालथस]]
 |[[हेयरन II]]
 |[[सेप्टिमियस एंटिओकस]]}}|consort=हाँ|spouse=ओडेनाथस|death_date=274 के बाद|birth_place=[[पलमीरा]], [[सीरिया पलेस्टिना|सीरिया]]|birth_date={{Circa|240}}|birth_name=सेप्टिमिया बत्ज़बी (बैट-ज़ाबाई)|successor2=कोई नहीं|reign2=260–267|title=अगस्ता|succession2=पाल्मिरा की रानी संघ|successor1=कोई नहीं|predecessor1=शीर्षक बनाया गया|reign1=267–272|succession1=पालमीरा की रानी माँ|successor=कोई नहीं|predecessor=शीर्षक बनाया गया|reign=272 ई.|succession=महारानी|caption=ज़ेनोबिया महारानी|image=Zenobia obversee.png|house=ओडेनाथस}}
 
# [[گرو جمبھیشور]] جی نے 1542 میں بشنوئی فرقے کی بنیاد رکھی۔ [[گرو جمبھیشور]] نے سمرٹھل کے بیٹھے یا دورے پر جاتے ہوئے اپنی تعلیمات سے اپنی نئی مسلک کی تبلیغ کی۔ اس کے زمانے میں ہی جام (جاگرن) اور ستسنگ کی تبلیغ شروع ہوئی۔<nowiki>''</nowiki>अमर ज्योति<nowiki>''</nowiki> पत्रिका का प्रकाशन एक साधारण घटना के परिणामस्वरूप हुआ। वर्ष 1949 ई0 में फाग वाले दिन आदमपुर मण्डी के किसी दुकानदार द्वारा भेजे गये पत्र के आधार पर एक मिथ्या घटना का <nowiki>''</nowiki>राष्ट्र दूत<nowiki>''</nowiki> (साप्ताहिक हिन्दी) हिसार में प्रकाशन हुआ। डा0 रामगोपाल जी (आदमपुर), जो उन दिनों दिल्ली में विद्यार्थी थे, उन्होंने वह समाचार पढ़कर श्री मनीराम बिश्नोई, एडवोकेट को पत्र भेजा कि हमें इस प्रकार की मिथ्या घटनाओं को अपनी ही पत्रिका द्वारा खण्डन करना चाहिए। पत्रिका प्रकाशन पर विचार करने के लिए उन्होंने दिनांक 16.4.1949 को एक बैठक बुलाने के लिए लिखा जिसमें पत्रिका प्रकाशन में रुचि रखने वाले सभी बिश्नोई बन्धुओं को बुलाया गया। दिनांक 16.4.1949 को हुई बैठक में चौ॰ श्रीराम जी जाणी (प्रधान), चौ॰ सोहनलाल जी जौहर (उप-प्रधान), डाॅ0 रामगोपाल जी, चौ॰ रामजस जी पूनिया (लान्धड़ी), चौ॰ पोकरराम जी गोदारा (बड़ोपल), मुन्शी बोगाराम जी जाणी (धान्सू), श्री मनीराम बिश्नोई एडवोकेट, चौ॰ लेखराम जी कालीराणा (आदमपुर), सूबेदार प्रेमनारायण जी पूनिया (मंगाली), नायब सूबेदार सोहनलाल जी गोदारा (लान्धड़ी), चौ॰ रामप्रताप जी जौहर (सीसवाल), चौ॰ मनीराम जी गोदारा (बड़ोपल), मा. हनुमान जी कालीराणा (काजलहेड़ी), का0 सहीराम जी जौहर (नवजीवन प्रिन्टिंग प्रैस, हिसार) तथा मुन्शी रामरख जी जाणी (मन्त्री) उपस्थित हुए। इस बैठक में पत्रिका प्रकाशन हेतु मौटे तौर पर विचार-विमर्श हुआ।
# سیپٹیمیا زینوبیا شام میں پالمیرا سلطنت کی تیسری صدی کی ملکہ تھی۔وہ شاید عام نہیں تھی اور اس نے اس شہر کے حکمران اوڈیناتھ سے شادی کی۔ اس کا شوہر 260 ء میں بادشاہ بن گیا، اس نے [[تدمر|پلميرا]] کو رومن ایسٹ کو مستحکم کرنے والے ساسانيوں کو شکست دے کر قریب وسطی میں سب سے زیادہ طاقت حاصل کی. اوڈیناتھس کے قتل کے بعد ، زینوبیا اپنے بیٹے وابالاتس کی ریجنٹ بن گئ اور پورے دور حکومت میں ڈی فیکٹو پاور کا انعقاد کیا۔270 में, ज़ेनोबिया ने एक आक्रमण शुरू किया जो अधिकांश रोमन पूर्व को अपने अधीन ले आया और मिस्र के विनाश के साथ समाप्त हुआ। मध्य 271 तक उसके दायरे में अनासीरा, मध्य अनातोलिया, से लेकर दक्षिणी मिस्र तक बढ़ गया, हालाँकि वह रोम में मुख्य रूप से अधीनस्थ रही। हालांकि, 272 में रोमन सम्राट ऑरेलियन के अभियान की प्रतिक्रिया में, ज़ेनोबिया ने अपने बेटे को सम्राट घोषित किया और साम्राज्ञी का पदभार ग्रहण किया (रोम से पल्मायरा के अलगाव की घोषणा करते हुए)। भारी लड़ाई के बाद रोमन विजयी हुए थे; रानी को उनकी राजधानी में घेर लिया गया और ऑरेलियन द्वारा कब्जा कर लिया गया, जिसने उसे रोम में निर्वासित कर दिया जहाँ उसने अपना शेष जीवन बिताया।
 
# جدید دور میں ، کسی بھی نظریہ یا مذہبی اصولوں کی تشہیر اور تشہیر کی پرنٹنگ اور اشاعت کو بنیادی بنیاد سمجھا جاتا ہے۔ اترپردیش کے بشنوئی معاشرے میں جدید تعلیم وہاں کے حالات کی وجہ سے پھیل گئی۔ لہذا ، اس جگہ کے پڑھے لکھے بھائیوں نے ، اس عنصر کو <nowiki>بھانپتے ہوئے 'بشنائی سماچار' ، 'بشنوئی دوست' اور '</nowiki> [https://web.archive.org/web/20170925015822/http://bishnoism.org/ بشنوئی] ' جیسے رسائل شائع کیے ، لیکن یہ رسائل زیادہ دن چل نہیں سکے۔<nowiki>''</nowiki>अमर ज्योति<nowiki>''</nowiki> पत्रिका का प्रकाशन एक साधारण घटना के परिणामस्वरूप हुआ। वर्ष 1949 ई0 में फाग वाले दिन आदमपुर मण्डी के किसी दुकानदार द्वारा भेजे गये पत्र के आधार पर एक मिथ्या घटना का <nowiki>''</nowiki>राष्ट्र दूत<nowiki>''</nowiki> (साप्ताहिक हिन्दी) हिसार में प्रकाशन हुआ। डा0 रामगोपाल जी (आदमपुर), जो उन दिनों दिल्ली में विद्यार्थी थे, उन्होंने वह समाचार पढ़कर श्री मनीराम बिश्नोई, एडवोकेट को पत्र भेजा कि हमें इस प्रकार की मिथ्या घटनाओं को अपनी ही पत्रिका द्वारा खण्डन करना चाहिए। पत्रिका प्रकाशन पर विचार करने के लिए उन्होंने दिनांक 16.4.1949 को एक बैठक बुलाने के लिए लिखा जिसमें पत्रिका प्रकाशन में रुचि रखने वाले सभी बिश्नोई बन्धुओं को बुलाया गया। दिनांक 16.4.1949 को हुई बैठक में चौ॰ श्रीराम जी जाणी (प्रधान), चौ॰ सोहनलाल जी जौहर (उप-प्रधान), डाॅ0 रामगोपाल जी, चौ॰ रामजस जी पूनिया (लान्धड़ी), चौ॰ पोकरराम जी गोदारा (बड़ोपल), मुन्शी बोगाराम जी जाणी (धान्सू), श्री मनीराम बिश्नोई एडवोकेट, चौ॰ लेखराम जी कालीराणा (आदमपुर), सूबेदार प्रेमनारायण जी पूनिया (मंगाली), नायब सूबेदार सोहनलाल जी गोदारा (लान्धड़ी), चौ॰ रामप्रताप जी जौहर (सीसवाल), चौ॰ मनीराम जी गोदारा (बड़ोपल), मा. हनुमान जी कालीराणा (काजलहेड़ी), का0 सहीराम जी जौहर (नवजीवन प्रिन्टिंग प्रैस, हिसार) तथा मुन्शी रामरख जी जाणी (मन्त्री) उपस्थित हुए। इस बैठक में पत्रिका प्रकाशन हेतु मौटे तौर पर विचार-विमर्श हुआ।
# 270 میں ، زینوبیا نے ایک یلغار شروع کی جس سے رومن وسطی کے بیشتر حصے کو اپنے زیر قابو کرلیا اور مصر کی تباہی کے ساتھ ہی اس کا خاتمہ ہوا۔ 271 کے وسط تک ، اس کا دائرہ وسطی اناطولیہ ، اناسیرا سے جنوبی مصر تک پھیل گیا ، حالانکہ وہ بنیادی طور پر روم کے ماتحت رہی۔ تاہم ، 272 میں رومن شہنشاہ اوریلین کی مہم کے جواب میں ، زینوبیا نے اپنے بیٹے کو شہنشاہ کا اعلان کیا اور بادشاہی کا اقتدار سنبھال لیا (پالمیرا کو روم سے علیحدگی کا اعلان کرتے ہوئے)۔ بھاری لڑائی کے بعد رومی فاتح رہے۔ ملکہ کو اس کے دارالحکومت میں محاصرے میں لیا گیا اور اوریلین نے اسے گرفتار کرلیا ، جس نے اسے روم جلاوطن کردیا جہاں اس نے اپنی باقی زندگی گزار دی۔270 में, ज़ेनोबिया ने एक आक्रमण शुरू किया जो अधिकांश रोमन पूर्व को अपने अधीन ले आया और मिस्र के विनाश के साथ समाप्त हुआ। मध्य 271 तक उसके दायरे में अनासीरा, मध्य अनातोलिया, से लेकर दक्षिणी मिस्र तक बढ़ गया, हालाँकि वह रोम में मुख्य रूप से अधीनस्थ रही। हालांकि, 272 में रोमन सम्राट ऑरेलियन के अभियान की प्रतिक्रिया में, ज़ेनोबिया ने अपने बेटे को सम्राट घोषित किया और साम्राज्ञी का पदभार ग्रहण किया (रोम से पल्मायरा के अलगाव की घोषणा करते हुए)। भारी लड़ाई के बाद रोमन विजयी हुए थे; रानी को उनकी राजधानी में घेर लिया गया और ऑरेलियन द्वारा कब्जा कर लिया गया, जिसने उसे रोम में निर्वासित कर दिया जहाँ उसने अपना शेष जीवन बिताया।
 
# <nowiki>"</nowiki> امر جیوتی <nowiki>"</nowiki> میگزین کی اشاعت کے نتیجے میں ایک معمولی واقعہ پیش آیا۔ سال 1949 میں ، <nowiki>"</nowiki> راشٹریہ ایلچی <nowiki>"</nowiki> (ہفتہ وار ہندی) حصار میں ایک جھوٹا واقعہ شائع ہوا تھا ، جس کے ایک اچھ .ے دن ، آدم پور منڈی کے ایک دکاندار کی طرف سے بھیجے گئے خط کی بنیاد پر۔ ڈاکٹر رام گوپال جی (ادم پور) ، جو اس وقت دہلی میں طالب علم تھے ، نے اس خبر کو پڑھا اور مسٹر منیرم بشنوئی ، ایڈووکیٹ کو ایک خط بھیجا کہ ہمیں اپنے جریدے کے ذریعہ اس طرح کے جھوٹے واقعات کی تردید کرنی چاہئے۔ رسالہ کی اشاعت پر غور کرنے کے لئے ، اس نے 16.4.1949 کو ایک اجلاس طلب کرنے کے لئے لکھا جس میں میگزین کی اشاعت میں دلچسپی رکھنے والے تمام بشنوئی بھائیوں کو بلایا گیا تھا۔ 16.4.1949 کو منعقدہ میٹنگ میں ، چو شری رام جانی (سربراہ) ، چوہ سوہن لال جی جوہر (نائب صدر) ، ڈاکٹر رام گوپال جی ، چا رامجاس جی پونیا (لندھاری) ، چا پوکھیرم جی گوڈارا (بوروپال) ، منشی بوگارام جی جانی (دھنسو) ، شری منیرم بشنوئی ایڈووکیٹ ، چاؤ لیکھرام جی کلریانا (اڈام پور) ، صوبیدار پریمنارائن جی پونیا (منگالی) ، نائب صوبیدار سوہن لال جی گوڈارا (لندھاری) ، چو رام رام پرتاپ جی جوہر (سسوال) ، چو۔ منیرم جی گودارا (بوروپال) ، ما ہنومان جی کلرینا (کجلھیڈی) ، کا سحرام جی جوہر (نو جیون پرنٹنگ پریس ، ہسار) اور منشی رامارک جی (وزیر) موجود تھے۔ اس اجلاس میں میگزین کی اشاعت کے لئے تفصیلی تبادلہ خیال کیا گیا۔<nowiki>''</nowiki>अमर ज्योति<nowiki>''</nowiki> पत्रिका का प्रकाशन एक साधारण घटना के परिणामस्वरूप हुआ। वर्ष 1949 ई0 में फाग वाले दिन आदमपुर मण्डी के किसी दुकानदार द्वारा भेजे गये पत्र के आधार पर एक मिथ्या घटना का <nowiki>''</nowiki>राष्ट्र दूत<nowiki>''</nowiki> (साप्ताहिक हिन्दी) हिसार में प्रकाशन हुआ। डा0 रामगोपाल जी (आदमपुर), जो उन दिनों दिल्ली में विद्यार्थी थे, उन्होंने वह समाचार पढ़कर श्री मनीराम बिश्नोई, एडवोकेट को पत्र भेजा कि हमें इस प्रकार की मिथ्या घटनाओं को अपनी ही पत्रिका द्वारा खण्डन करना चाहिए। पत्रिका प्रकाशन पर विचार करने के लिए उन्होंने दिनांक 16.4.1949 को एक बैठक बुलाने के लिए लिखा जिसमें पत्रिका प्रकाशन में रुचि रखने वाले सभी बिश्नोई बन्धुओं को बुलाया गया। दिनांक 16.4.1949 को हुई बैठक में चौ॰ श्रीराम जी जाणी (प्रधान), चौ॰ सोहनलाल जी जौहर (उप-प्रधान), डाॅ0 रामगोपाल जी, चौ॰ रामजस जी पूनिया (लान्धड़ी), चौ॰ पोकरराम जी गोदारा (बड़ोपल), मुन्शी बोगाराम जी जाणी (धान्सू), श्री मनीराम बिश्नोई एडवोकेट, चौ॰ लेखराम जी कालीराणा (आदमपुर), सूबेदार प्रेमनारायण जी पूनिया (मंगाली), नायब सूबेदार सोहनलाल जी गोदारा (लान्धड़ी), चौ॰ रामप्रताप जी जौहर (सीसवाल), चौ॰ मनीराम जी गोदारा (बड़ोपल), मा. हनुमान जी कालीराणा (काजलहेड़ी), का0 सहीराम जी जौहर (नवजीवन प्रिन्टिंग प्रैस, हिसार) तथा मुन्शी रामरख जी जाणी (मन्त्री) उपस्थित हुए। इस बैठक में पत्रिका प्रकाशन हेतु मौटे तौर पर विचार-विमर्श हुआ।
# زینوبیا ایک مہذب ملکہ تھیں اور اس نے اپنے دربار میں فکری ماحول کو فروغ دیا ، علما اور فلاسفروں کے لئے کھلا۔ وہ اپنے رعایا سے روادار تھی اور مذہبی اقلیتوں کی حفاظت کرتی تھی۔ ملکہ نے ایک مستحکم انتظامیہ برقرار رکھی ، جس نے کثیر الثقافتی کثیر القومی سلطنت کو کنٹرول کیا۔ زینوبیا کا انتقال 274 عیسوی کے بعد ہوا ، اور اس کی تقدیر کے بارے میں بہت ساری داستانیں ریکارڈ کی گئیں۔ ان کے عروج و زوال نے مورخین ، فنکاروں اور ناول نگاروں کو متاثر کیا اور وہ [[سوریہ|شام]] میں قومی ہیرو [[سوریہ|ہیں]] ۔270 में, ज़ेनोबिया ने एक आक्रमण शुरू किया जो अधिकांश रोमन पूर्व को अपने अधीन ले आया और मिस्र के विनाश के साथ समाप्त हुआ। मध्य 271 तक उसके दायरे में अनासीरा, मध्य अनातोलिया, से लेकर दक्षिणी मिस्र तक बढ़ गया, हालाँकि वह रोम में मुख्य रूप से अधीनस्थ रही। हालांकि, 272 में रोमन सम्राट ऑरेलियन के अभियान की प्रतिक्रिया में, ज़ेनोबिया ने अपने बेटे को सम्राट घोषित किया और साम्राज्ञी का पदभार ग्रहण किया (रोम से पल्मायरा के अलगाव की घोषणा करते हुए)। भारी लड़ाई के बाद रोमन विजयी हुए थे; रानी को उनकी राजधानी में घेर लिया गया और ऑरेलियन द्वारा कब्जा कर लिया गया, जिसने उसे रोम में निर्वासित कर दिया जहाँ उसने अपना शेष जीवन बिताया।
 
# بابو ٹیک چند جی تھپان ، بشنوئی سماچار (ناگینہ) کے پبلشر اور منیجر اور نگینہ (یوپی) کے دوسرے بھائیوں سے بھی رابطہ کریں اور بیسنوئی سبھا ، ہسار سے رسالہ کی بحالی کا فیصلہ کیا گیا۔ گزارش ہے کہ اس میٹنگ میں اس کی طرف سے ایک ماہانہ رسالہ شائع کیا جائے۔ <nowiki>"</nowiki> اڈیگ جوٹ سمرارتھلی <nowiki>"</nowiki> سے متاثر ہوکر ، ڈاکٹر رام گوپال جی نے اس رسالے کا نام <nowiki>"</nowiki> امر جیوتی <nowiki>" رکھا</nowiki> ۔ اس کے بعد، شری مانیرام بشنوئی، ایڈووکیٹ اور چاؤ رام پرتاب جیہار ستمبر 1949 28 پر نگینہ کے پاس گیا اور <nowiki>"بشنوئی</nowiki> <nowiki>خبریں"</nowiki> کی دوبارہ اشاعت کے بارے بشنوئی بھائیوں کے ساتھ تبادلہ خیال کیا. لیکن وہ لوگ اس کے لئے تیار نہیں تھے۔ لہذا ، منشی رامرکھا جی (وزیر بشنوئی سبھا ، حصار) نے 13.10.1949 کو ضلعی مجسٹریٹ حصار کو درخواست فارم جمع کرایا ، جس پر حکومت سے میگزین کی اشاعت کے لئے اجازت حاصل کرنے کے لئے ریاستی حکومت سے 5.12.1949 کو منظوری حاصل کی گئی۔<nowiki>''</nowiki>अमर ज्योति<nowiki>''</nowiki> पत्रिका का प्रकाशन एक साधारण घटना के परिणामस्वरूप हुआ। वर्ष 1949 ई0 में फाग वाले दिन आदमपुर मण्डी के किसी दुकानदार द्वारा भेजे गये पत्र के आधार पर एक मिथ्या घटना का <nowiki>''</nowiki>राष्ट्र दूत<nowiki>''</nowiki> (साप्ताहिक हिन्दी) हिसार में प्रकाशन हुआ। डा0 रामगोपाल जी (आदमपुर), जो उन दिनों दिल्ली में विद्यार्थी थे, उन्होंने वह समाचार पढ़कर श्री मनीराम बिश्नोई, एडवोकेट को पत्र भेजा कि हमें इस प्रकार की मिथ्या घटनाओं को अपनी ही पत्रिका द्वारा खण्डन करना चाहिए। पत्रिका प्रकाशन पर विचार करने के लिए उन्होंने दिनांक 16.4.1949 को एक बैठक बुलाने के लिए लिखा जिसमें पत्रिका प्रकाशन में रुचि रखने वाले सभी बिश्नोई बन्धुओं को बुलाया गया। दिनांक 16.4.1949 को हुई बैठक में चौ॰ श्रीराम जी जाणी (प्रधान), चौ॰ सोहनलाल जी जौहर (उप-प्रधान), डाॅ0 रामगोपाल जी, चौ॰ रामजस जी पूनिया (लान्धड़ी), चौ॰ पोकरराम जी गोदारा (बड़ोपल), मुन्शी बोगाराम जी जाणी (धान्सू), श्री मनीराम बिश्नोई एडवोकेट, चौ॰ लेखराम जी कालीराणा (आदमपुर), सूबेदार प्रेमनारायण जी पूनिया (मंगाली), नायब सूबेदार सोहनलाल जी गोदारा (लान्धड़ी), चौ॰ रामप्रताप जी जौहर (सीसवाल), चौ॰ मनीराम जी गोदारा (बड़ोपल), मा. हनुमान जी कालीराणा (काजलहेड़ी), का0 सहीराम जी जौहर (नवजीवन प्रिन्टिंग प्रैस, हिसार) तथा मुन्शी रामरख जी जाणी (मन्त्री) उपस्थित हुए। इस बैठक में पत्रिका प्रकाशन हेतु मौटे तौर पर विचार-विमर्श हुआ।
== نام ، موجودگی اور ماخذ ==
 
# 8 جنوری ، 1950 کا دن بِشونی سوسائٹی اور امر جیوتی پیٹریکا کی تاریخ کا ایک عہد ساز دن تھا جب اس دن بشنائی سبھا ہسار کا عمومی اجلاس تھا جس کی صدارت چوہدری شریرم جانی نے کی تھی ، اجلاس میں فیصلہ کیا گیا تھا کہ بشنوئی معاشرے کی مذہبی اور معاشرتی بے عملی اسے ہٹایا جانا چاہئے تاکہ معاشرہ روایت پسندی کو ترک کر کے موجودہ دور کے ساتھ آگے بڑھ سکے۔ اس مقصد کو حاصل کرنے اور معاشرے کو ترقی کی راہ پر گامزن کرنے کے لئے ، <nowiki>"امر جیوتی"</nowiki> (ماہانہ ہندی رسالہ) شائع کرنا تاریخی فیصلہ تھا۔ مقصد نمبر 3 (سی) میں میگزین کی اشاعت بھی ایوان کا ایک مقصد ہے ، جس کا ذکر ایوان کے ان مقاصد میں کیا گیا ہے جن کا ذکر بزنس سبھا ، حصار کے آئین میں کیا گیا ہے۔ اسمبلی کا یہ فیصلہ بھی اسی مقصد کو پورا کرنا تھا۔ 16.4.1949 کی تاریخ کے مطابق ، شری منیرم بشنوئی ، ایڈوکیٹ نے ایوان کی غیر رسمی ملاقات کے فیصلے کے اجلاس کے آغاز سے قبل ایک درخواست فارم جمع کرایا۔ جس میں لکھا گیا تھا کہ میگزین شائع کرنے کی اجازت ریاستی حکومت سے موصول ہوئی ہے۔ لہذا ، اجتماع کو آج ہی اس موضوع پر غور کرنا چاہئے اور فیصلہ کرنا ہوگا۔<nowiki>''</nowiki>अमर ज्योति<nowiki>''</nowiki> पत्रिका का प्रकाशन एक साधारण घटना के परिणामस्वरूप हुआ। वर्ष 1949 ई0 में फाग वाले दिन आदमपुर मण्डी के किसी दुकानदार द्वारा भेजे गये पत्र के आधार पर एक मिथ्या घटना का <nowiki>''</nowiki>राष्ट्र दूत<nowiki>''</nowiki> (साप्ताहिक हिन्दी) हिसार में प्रकाशन हुआ। डा0 रामगोपाल जी (आदमपुर), जो उन दिनों दिल्ली में विद्यार्थी थे, उन्होंने वह समाचार पढ़कर श्री मनीराम बिश्नोई, एडवोकेट को पत्र भेजा कि हमें इस प्रकार की मिथ्या घटनाओं को अपनी ही पत्रिका द्वारा खण्डन करना चाहिए। पत्रिका प्रकाशन पर विचार करने के लिए उन्होंने दिनांक 16.4.1949 को एक बैठक बुलाने के लिए लिखा जिसमें पत्रिका प्रकाशन में रुचि रखने वाले सभी बिश्नोई बन्धुओं को बुलाया गया। दिनांक 16.4.1949 को हुई बैठक में चौ॰ श्रीराम जी जाणी (प्रधान), चौ॰ सोहनलाल जी जौहर (उप-प्रधान), डाॅ0 रामगोपाल जी, चौ॰ रामजस जी पूनिया (लान्धड़ी), चौ॰ पोकरराम जी गोदारा (बड़ोपल), मुन्शी बोगाराम जी जाणी (धान्सू), श्री मनीराम बिश्नोई एडवोकेट, चौ॰ लेखराम जी कालीराणा (आदमपुर), सूबेदार प्रेमनारायण जी पूनिया (मंगाली), नायब सूबेदार सोहनलाल जी गोदारा (लान्धड़ी), चौ॰ रामप्रताप जी जौहर (सीसवाल), चौ॰ मनीराम जी गोदारा (बड़ोपल), मा. हनुमान जी कालीराणा (काजलहेड़ी), का0 सहीराम जी जौहर (नवजीवन प्रिन्टिंग प्रैस, हिसार) तथा मुन्शी रामरख जी जाणी (मन्त्री) उपस्थित हुए। इस बैठक में पत्रिका प्रकाशन हेतु मौटे तौर पर विचार-विमर्श हुआ।
# اس کا چہرہ کالا تھا اور ایک سوادج رنگت ، اس کی آنکھیں سیاہ اور طاقتور معمول سے زیادہ تھیں ، اس کی روح خدائی عظیم تھی ، اور اس کی خوبصورتی ناقابل یقین تھی۔ اس کے دانت سفید تھے جو بہت سے لوگوں کے خیال میں دانتوں کی جگہ پر موتی ہیں۔ - اگسٹن ہسٹری [1]
 
# ایوان کے ذریعہ میگزین کی اشاعت کے فیصلے کے ساتھ ہی ایک ذیلی کمیٹی تشکیل دی گئی جو میگزین کے تفصیلی منصوبے ، مقصد اور قواعد کا فیصلہ کرے۔ ذیلی کمیٹی میں چار ممبران رامپرتاپ جیہار (سسوال) ، کا سحرام جوہر (نو جیون پریس) ، صوبیدار پریمنارائن جی پونیا (منگالی) ، ڈاکٹر رام گوپال جی (ادم پور) ممبران اور مسٹر منیرم بشنوئی اس کے ممبر کنوینر تھے۔ اس کے بعد ، تمام بھائی جو اس رسالہ کی اشاعت میں دلچسپی رکھتے تھے ، نے 29.1.1950 کو اجلاس کے لئے دعوت نامہ بھیجا۔ اس میٹنگ میں تمام خاکہ تیار کیے گئے تھے۔ اس میٹنگ میں ضلع ہسار کے باہر سے صرف تین بھائی تھے ، جن میں سے ایک ماسٹر لدھورام جی گوڈارہ ، ابوہار اپنے دو سالہ لڑکے کو لے کر جنوری مہینے کی سخت سردی میں ہسار کا سفر کیا اور رات کو واپس آیا۔ اس رسالہ نے ایسے تیاگی اور کٹر ساتھیوں کی معصوم خدمات کے جذبے کی وجہ سے لمبا فاصلہ طے کیا ہے۔ چودھری شریرم جی جانی کی درخواست پر ، اس وقت کے پرنسپل ، بشنائی سبھا ہسار اور دیگر ساتھیوں ، جناب منیرم بشنوئی ، ایڈووکیٹ نے اس رسالہ کو چلانے کے تمام کاموں کو قبول کیا۔ رسالہ کا پہلا شمارہ جون 1950 میں شائع ہوا تھا۔ کامریڈ سحرام جی جوہر (نواجیون پریس) پہلے چار سالوں تک اس رسالہ کے بانی ایڈیٹر رہے۔<nowiki>''</nowiki>अमर ज्योति<nowiki>''</nowiki> पत्रिका का प्रकाशन एक साधारण घटना के परिणामस्वरूप हुआ। वर्ष 1949 ई0 में फाग वाले दिन आदमपुर मण्डी के किसी दुकानदार द्वारा भेजे गये पत्र के आधार पर एक मिथ्या घटना का <nowiki>''</nowiki>राष्ट्र दूत<nowiki>''</nowiki> (साप्ताहिक हिन्दी) हिसार में प्रकाशन हुआ। डा0 रामगोपाल जी (आदमपुर), जो उन दिनों दिल्ली में विद्यार्थी थे, उन्होंने वह समाचार पढ़कर श्री मनीराम बिश्नोई, एडवोकेट को पत्र भेजा कि हमें इस प्रकार की मिथ्या घटनाओं को अपनी ही पत्रिका द्वारा खण्डन करना चाहिए। पत्रिका प्रकाशन पर विचार करने के लिए उन्होंने दिनांक 16.4.1949 को एक बैठक बुलाने के लिए लिखा जिसमें पत्रिका प्रकाशन में रुचि रखने वाले सभी बिश्नोई बन्धुओं को बुलाया गया। दिनांक 16.4.1949 को हुई बैठक में चौ॰ श्रीराम जी जाणी (प्रधान), चौ॰ सोहनलाल जी जौहर (उप-प्रधान), डाॅ0 रामगोपाल जी, चौ॰ रामजस जी पूनिया (लान्धड़ी), चौ॰ पोकरराम जी गोदारा (बड़ोपल), मुन्शी बोगाराम जी जाणी (धान्सू), श्री मनीराम बिश्नोई एडवोकेट, चौ॰ लेखराम जी कालीराणा (आदमपुर), सूबेदार प्रेमनारायण जी पूनिया (मंगाली), नायब सूबेदार सोहनलाल जी गोदारा (लान्धड़ी), चौ॰ रामप्रताप जी जौहर (सीसवाल), चौ॰ मनीराम जी गोदारा (बड़ोपल), मा. हनुमान जी कालीराणा (काजलहेड़ी), का0 सहीराम जी जौहर (नवजीवन प्रिन्टिंग प्रैस, हिसार) तथा मुन्शी रामरख जी जाणी (मन्त्री) उपस्थित हुए। इस बैठक में पत्रिका प्रकाशन हेतु मौटे तौर पर विचार-विमर्श हुआ।
زینوبیا 240-241 کو پیدا ہوئی تھی۔ پالمیرایا کسی اور جگہ پر کوئیزنوبیا کے ہم عصر مجسمے نہیں مل پائے ہیں ، جس میں صرف لکھا ہوا لکھا بچا ہے ، جس سے یہ ظاہر ہوتا ہے کہ ملکہ کا مجسمہ ایک بار کھڑا تھا۔ زینوبیا کی سب سے مشہور نمائش ان کے سکوں پر پائے جانے والی کامل تصاویر ہیں۔ {{Sfn|Southern|2008}} [[یونان|یونانیوں]] اور رومیوں کے برعکس ، پالیمرین کے مجسمے عموما غیر معمولی تھے: زینوبیا کا مجسمہ اس کے معمول کے لباس اور زیورات کی عکاسی کرتا تھا ، لیکن اس کی اصل شکل ظاہر نہیں ہوتی۔ {{Sfn|Ball|2016}} برطانوی اسکالر ولیم رائٹ نے انیسویں صدی کے آخر میں ملکہ کے مجسمہ سازی کی بیکار تلاشی میں پلمیرا کا تصور کیا۔ {{Sfn|Macurdy|1937}}270 में, ज़ेनोबिया ने एक आक्रमण शुरू किया जो अधिकांश रोमन पूर्व को अपने अधीन ले आया और मिस्र के विनाश के साथ समाप्त हुआ। मध्य 271 तक उसके दायरे में अनासीरा, मध्य अनातोलिया, से लेकर दक्षिणी मिस्र तक बढ़ गया, हालाँकि वह रोम में मुख्य रूप से अधीनस्थ रही। हालांकि, 272 में रोमन सम्राट ऑरेलियन के अभियान की प्रतिक्रिया में, ज़ेनोबिया ने अपने बेटे को सम्राट घोषित किया और साम्राज्ञी का पदभार ग्रहण किया (रोम से पल्मायरा के अलगाव की घोषणा करते हुए)। भारी लड़ाई के बाद रोमन विजयी हुए थे; रानी को उनकी राजधानी में घेर लिया गया और ऑरेलियन द्वारा कब्जा कर लिया गया, जिसने उसे रोम में निर्वासित कर दिया जहाँ उसने अपना शेष जीवन बिताया।
 
# ان ابتدائی چار سالوں کے دوران ، ملک بھر میں بشنوئی بھائیوں کو مکمل تعاون حاصل ہوا۔ جن ساتھیوں نے میگزین کے صارفین کے نام اور پتے بھیجے اور فیس بھیجی وہ بابو لیکرم سنگھ وکیل (بجنور) ، چا ہری رام ڈیلو (راجاوالی) ، شری رامنارائن بشنوئی (بھٹارہ پارلیمنٹ) ، ما ہیں۔ لدھورم گوڈارا (ابہر) ، شری جی ایس۔ بشنوئی (جبل پور) ، مسٹر ہزاری لال بشنوئی (بلوڈا بازار ، ایم پی) ، مسٹر رامنارائن بشنوئی ، راجستھان حکومت کے سابق وزیر ، بابو ٹیکچند تھاپن (ناگینہ) ، چودھری سہیرم جی دھارنیا (سکتھا کھیڈا) سابق ایم ایل اے ، مسٹر نتھو لال بشنوئی (سنگولی) ، ایم پی) ، چودھری جیادیو سنگھ ایڈووکیٹ (میرٹھ) ، مسٹر درگا پرساد بشنوئی (گڈواروا ، ایم پی) ، چا سوہن لال کانگریس (ہری پورہ) ، چا بغدادوت سنگھ مال (پیراتالا) ، مسٹر مکیش بگدیہ (دترانوالی) ، ماسٹر برجلال گیانا (رسیس ، راجستھان)۔ دوسرے ساتھی جو میگزین میں اشاعت کے لئے مضامین اور سماجی خبریں بھیجتے ہیں اور میگزین کے صارفین کو فیس بھیجتے ہیں ان میں مسٹر ستیش چندر بشنوئی (کانتھ) ، مسٹر چیڈیالل گپتا (کان پور) ، مسٹر کامیش کنور سنگھ بشنوئی (دہرادون) ، ماسٹر جگناتھ گیدر (نیمگاؤں ، ایم) شامل ہیں۔ .) ، ماسٹر محمد یونس قریشی ، نیاز (ڈسٹرکٹ-پالی ، راجستھان) ، ماسٹر چیڈی لال بشنوئی (کانت) ، کماری ششی لٹھھا تپان (نگینہ) ، کماری اسنیلاٹا بشنوئی (میرٹھ) ، شری ٹی سی۔ بشنوئی (میرٹھ) ، مسٹر دنیش سنگھ 'دنکر' (دہرادون) ، مسٹر یوگل کشور گپتا (سلہارا ، کانپور) ، مسٹر ہزاری لال جاکھر (سکھچین) کی خصوصی حمایت حاصل تھی۔<nowiki>''</nowiki>अमर ज्योति<nowiki>''</nowiki> पत्रिका का प्रकाशन एक साधारण घटना के परिणामस्वरूप हुआ। वर्ष 1949 ई0 में फाग वाले दिन आदमपुर मण्डी के किसी दुकानदार द्वारा भेजे गये पत्र के आधार पर एक मिथ्या घटना का <nowiki>''</nowiki>राष्ट्र दूत<nowiki>''</nowiki> (साप्ताहिक हिन्दी) हिसार में प्रकाशन हुआ। डा0 रामगोपाल जी (आदमपुर), जो उन दिनों दिल्ली में विद्यार्थी थे, उन्होंने वह समाचार पढ़कर श्री मनीराम बिश्नोई, एडवोकेट को पत्र भेजा कि हमें इस प्रकार की मिथ्या घटनाओं को अपनी ही पत्रिका द्वारा खण्डन करना चाहिए। पत्रिका प्रकाशन पर विचार करने के लिए उन्होंने दिनांक 16.4.1949 को एक बैठक बुलाने के लिए लिखा जिसमें पत्रिका प्रकाशन में रुचि रखने वाले सभी बिश्नोई बन्धुओं को बुलाया गया। दिनांक 16.4.1949 को हुई बैठक में चौ॰ श्रीराम जी जाणी (प्रधान), चौ॰ सोहनलाल जी जौहर (उप-प्रधान), डाॅ0 रामगोपाल जी, चौ॰ रामजस जी पूनिया (लान्धड़ी), चौ॰ पोकरराम जी गोदारा (बड़ोपल), मुन्शी बोगाराम जी जाणी (धान्सू), श्री मनीराम बिश्नोई एडवोकेट, चौ॰ लेखराम जी कालीराणा (आदमपुर), सूबेदार प्रेमनारायण जी पूनिया (मंगाली), नायब सूबेदार सोहनलाल जी गोदारा (लान्धड़ी), चौ॰ रामप्रताप जी जौहर (सीसवाल), चौ॰ मनीराम जी गोदारा (बड़ोपल), मा. हनुमान जी कालीराणा (काजलहेड़ी), का0 सहीराम जी जौहर (नवजीवन प्रिन्टिंग प्रैस, हिसार) तथा मुन्शी रामरख जी जाणी (मन्त्री) उपस्थित हुए। इस बैठक में पत्रिका प्रकाशन हेतु मौटे तौर पर विचार-विमर्श हुआ।
# آثار قدیمہ کے شواہد کے علاوہ ، زینوبیا کی زندگی مختلف قدیم وسائل میں درج کی گئی تھی ، لیکن بہت سارے عیب دار ہیں یا اس پر اکتفا کیا جاتا ہے۔ اگستن کی تاریخ ، سوانح عمری کا ایک دیر سے رومن مجموعہ ، اس دور کا سب سے قابل ذکر (اعتبار نہ کرنے کے باوجود) ہے۔ اگسٹن ہسٹری کے مصنف نے عصری ذرائع کی عدم موجودگی میں بہت سے واقعات اور خطوط ایجاد کیے جن کی وجہ زینوبیا سے ہے۔ اگستین کے کچھ ہسٹری اکاؤنٹس دوسرے ذرائع سے الگ تھلگ کردیئے گئے ہیں ، اور زیادہ قابل اعتماد ہیں۔ بزنطینی دائمی جونز زونراسیس زینوبیا کی زندگی کے لئے ایک اہم ذریعہ سمجھا جاتا ہے۔
 
# جب رسالہ کی اشاعت کی تیاریاں جاری تھیں ، تو ہر کوئی جذباتی تھا اور سمجھتا تھا کہ جس کے ساتھ بھی رسالہ جاری ہوتا ہے ، اسے لازمی طور پر فیس آرڈر کے ذریعے یا کسی اور ذریعہ بھیجنا چاہئے۔ چونکہ اس رسالہ کی تشہیر کے لئے سوسائٹی کی جانب سے شائع کیا جارہا تھا ، لہذا اس میں منافع کا کوئی احساس پیدا نہیں ہوا ، لہذا اس کی سالانہ فیس تین روپے کے اصل اخراجات کو مدنظر رکھتے ہوئے طے کی گئی۔ پہلے سال کے آخر میں ، اس کی آمدنی اور اخراجات کی تفصیلات 10.6.1951 کو ایوان کی میٹنگ میں پیش کی گئیں اور سال 1951-52 کے اشاعت کے لئے مزید منظوری لی گئی۔ اسی طرح دوسرے سال کے اختتام پر ، اجلاس کی تاریخ 24.6.1952 کے اجلاس میں آمدنی اور اخراجات کی تفصیلات پیش کی گئیں اور سال 1952-53 کے لئے منظوری لی گئی اور اسمبلی تاریخ 14.6 کی میٹنگ میں تیسرے سال کے آخر میں آمدنی کے اخراجات کی تفصیلات حاصل کی گئیں۔ منظوری 1953-54 کے لئے 53 پیش کرکے حاصل کی گئی تھی۔ چوتھے سال کے اختتام پر ، 30.5.54 کو ایوان کی میٹنگ میں آمدنی اور اخراجات کی تفصیلات پیش کی گئیں۔ چونکہ ہر سال میگزین کی فیس بقایا رہتی ہے ، اس وجہ سے اس رقم میں اضافہ ہوا جو ایوان کو برداشت کرنا پڑتا تھا۔ دریں اثنا ، ضلع حصار میں فصلوں کے سال 1951-52 اور 1952-53 میں خشک سالی تھی جس کے نتیجے میں اسمبلی کو دیئے گئے چندہ کی بہت کم بازیابی ہوئی۔ لہذا ، سن 1954-55 میں میگزین کو مزید شائع کرنے کی اجازت کو روکتے ہوئے ، اس کی معاشی حالت پر غور کرنے کے لئے ایک ذیلی کمیٹی تشکیل دی گئی جس میں چودھری شیرام جی جانی (سربراہ) ، چوٹھھا پترام سنور (خزانچی) ، چا منیرم جی گوڈارا (بوروپال) ، صوبیدار پریمنارائن جی پنیا (منگالی) اور شری منیرم بشنوئی ، ایڈوکیٹ۔ اس دن ، ایڈوکیٹ شری منیرم بشنوئی نے چودھری شری رام جی سے میگزین کے آپریشن سے آزاد ہونے کی دعا کی ، جسے منظور کرلیا گیا۔<nowiki>''</nowiki>अमर ज्योति<nowiki>''</nowiki> पत्रिका का प्रकाशन एक साधारण घटना के परिणामस्वरूप हुआ। वर्ष 1949 ई0 में फाग वाले दिन आदमपुर मण्डी के किसी दुकानदार द्वारा भेजे गये पत्र के आधार पर एक मिथ्या घटना का <nowiki>''</nowiki>राष्ट्र दूत<nowiki>''</nowiki> (साप्ताहिक हिन्दी) हिसार में प्रकाशन हुआ। डा0 रामगोपाल जी (आदमपुर), जो उन दिनों दिल्ली में विद्यार्थी थे, उन्होंने वह समाचार पढ़कर श्री मनीराम बिश्नोई, एडवोकेट को पत्र भेजा कि हमें इस प्रकार की मिथ्या घटनाओं को अपनी ही पत्रिका द्वारा खण्डन करना चाहिए। पत्रिका प्रकाशन पर विचार करने के लिए उन्होंने दिनांक 16.4.1949 को एक बैठक बुलाने के लिए लिखा जिसमें पत्रिका प्रकाशन में रुचि रखने वाले सभी बिश्नोई बन्धुओं को बुलाया गया। दिनांक 16.4.1949 को हुई बैठक में चौ॰ श्रीराम जी जाणी (प्रधान), चौ॰ सोहनलाल जी जौहर (उप-प्रधान), डाॅ0 रामगोपाल जी, चौ॰ रामजस जी पूनिया (लान्धड़ी), चौ॰ पोकरराम जी गोदारा (बड़ोपल), मुन्शी बोगाराम जी जाणी (धान्सू), श्री मनीराम बिश्नोई एडवोकेट, चौ॰ लेखराम जी कालीराणा (आदमपुर), सूबेदार प्रेमनारायण जी पूनिया (मंगाली), नायब सूबेदार सोहनलाल जी गोदारा (लान्धड़ी), चौ॰ रामप्रताप जी जौहर (सीसवाल), चौ॰ मनीराम जी गोदारा (बड़ोपल), मा. हनुमान जी कालीराणा (काजलहेड़ी), का0 सहीराम जी जौहर (नवजीवन प्रिन्टिंग प्रैस, हिसार) तथा मुन्शी रामरख जी जाणी (मन्त्री) उपस्थित हुए। इस बैठक में पत्रिका प्रकाशन हेतु मौटे तौर पर विचार-विमर्श हुआ।
== ابتداء ، خاندانی اور ابتدائی زندگی ==
 
# رسالہ کی اشاعت کے بعد اسے بہت سی رکاوٹوں ، رکاوٹوں اور مشکلات سے گزرنا پڑا۔ جب رسالہ ایک بہت بڑے نقصان پر چل رہا تھا تو ، اس کی معاشی حالت پر غور کرنے کے لئے تشکیل دی جانے والی ذیلی کمیٹی کا اجلاس 15.6.1954 کو ہوا جس میں سب کمیٹی کے ممبروں اور وزیر اسمبلی منشی رامرھا جی جانی کے علاوہ بشنوئی افراد نے شرکت کی۔ بھی پیش ہوئے۔ آخر میں ، فیصلہ کیا گیا کہ میگزین کی اشاعت ایوان کے خرچ پر نہیں ہوگی ، یعنی رسالہ کی اشاعت کو بند کرنے کا فیصلہ کیا گیا تھا۔ اس پر ، منشی رام رکھ جی (وزیر) کی روح حیرت زدہ ہوگئی ، جسے وہ برداشت نہیں کرسکے۔ انہوں نے تجویز پیش کی کہ میگزین کو بند نہیں کیا جانا چاہئے اور آئندہ بھی وہ اپنے تمام نقصانات اور منافع خود ہی برداشت کرنے کے لئے تیار ہے۔ اس کی تجویز کو تالیاں بجا طور پر قبول کرلیا گیا۔ اگر منشی رام رکھ جی نے اس تجویز کو برقرار نہیں رکھا ، تو یہ رسالہ معاشرے کے پہلے شائع ہونے والے جرائد کی طرح صرف چار سال مکمل کرسکتا تھا۔ آج تک اس کی اشاعت کا سہرا منشی رامرخجی جانی کو جاتا ہے۔ پورا معاشرہ اس کا مشکور ہے۔<nowiki>''</nowiki>अमर ज्योति<nowiki>''</nowiki> पत्रिका का प्रकाशन एक साधारण घटना के परिणामस्वरूप हुआ। वर्ष 1949 ई0 में फाग वाले दिन आदमपुर मण्डी के किसी दुकानदार द्वारा भेजे गये पत्र के आधार पर एक मिथ्या घटना का <nowiki>''</nowiki>राष्ट्र दूत<nowiki>''</nowiki> (साप्ताहिक हिन्दी) हिसार में प्रकाशन हुआ। डा0 रामगोपाल जी (आदमपुर), जो उन दिनों दिल्ली में विद्यार्थी थे, उन्होंने वह समाचार पढ़कर श्री मनीराम बिश्नोई, एडवोकेट को पत्र भेजा कि हमें इस प्रकार की मिथ्या घटनाओं को अपनी ही पत्रिका द्वारा खण्डन करना चाहिए। पत्रिका प्रकाशन पर विचार करने के लिए उन्होंने दिनांक 16.4.1949 को एक बैठक बुलाने के लिए लिखा जिसमें पत्रिका प्रकाशन में रुचि रखने वाले सभी बिश्नोई बन्धुओं को बुलाया गया। दिनांक 16.4.1949 को हुई बैठक में चौ॰ श्रीराम जी जाणी (प्रधान), चौ॰ सोहनलाल जी जौहर (उप-प्रधान), डाॅ0 रामगोपाल जी, चौ॰ रामजस जी पूनिया (लान्धड़ी), चौ॰ पोकरराम जी गोदारा (बड़ोपल), मुन्शी बोगाराम जी जाणी (धान्सू), श्री मनीराम बिश्नोई एडवोकेट, चौ॰ लेखराम जी कालीराणा (आदमपुर), सूबेदार प्रेमनारायण जी पूनिया (मंगाली), नायब सूबेदार सोहनलाल जी गोदारा (लान्धड़ी), चौ॰ रामप्रताप जी जौहर (सीसवाल), चौ॰ मनीराम जी गोदारा (बड़ोपल), मा. हनुमान जी कालीराणा (काजलहेड़ी), का0 सहीराम जी जौहर (नवजीवन प्रिन्टिंग प्रैस, हिसार) तथा मुन्शी रामरख जी जाणी (मन्त्री) उपस्थित हुए। इस बैठक में पत्रिका प्रकाशन हेतु मौटे तौर पर विचार-विमर्श हुआ।
# پامیرین معاشرہ سامی قبیلوں کا ایک گروہ تھا (زیادہ تر ارمینی اور عرب) ، اور زینوبیا کی شناخت کسی ایک گروہ کے ساتھ نہیں کی جاسکتی تھی۔ پلویمیرن کی حیثیت سے ، اس کے پاس ارمینی اور عربی خون تھا۔ زینوبیا کی نسل اور فوری خاندانی رابطوں کے بارے میں معلومات نایاب اور متضاد ہیں۔ اس کی والدہ کے بارے میں کچھ معلوم نہیں ہے ، اور اس کے والد کی شناخت بحث مباحثے میں ہے۔ مانیچین کے ذرائع "نافشہ" کا حوالہ دیتے ہیں ، جو "ملکہ کی پالمیرا" کی بہن ہیں ، لیکن ان ذرائع سے الجھ گیا ہے اور "نفشا" خود زینوبیا کا حوالہ دے سکتے ہیں: یہ شبہ ہے کہ زینوبیا کی ایک بہن تھی۔
 
# منشی رامارخ جی صرف اردو میں مڈل پاس تھے۔ ہندی اور انگریزی میں ، وہ صرف اپنے دستخط پر دستخط کرنے کے قابل تھا۔ کبھی بچوں کے ساتھ ، کبھی بڑے طلباء کے ساتھ اور کبھی اپنے دوسرے جاننے والوں کے ساتھ ، وہ اس میگزین کو مسلسل شائع کرتا رہا۔<nowiki>''</nowiki>अमर ज्योति<nowiki>''</nowiki> पत्रिका का प्रकाशन एक साधारण घटना के परिणामस्वरूप हुआ। वर्ष 1949 ई0 में फाग वाले दिन आदमपुर मण्डी के किसी दुकानदार द्वारा भेजे गये पत्र के आधार पर एक मिथ्या घटना का <nowiki>''</nowiki>राष्ट्र दूत<nowiki>''</nowiki> (साप्ताहिक हिन्दी) हिसार में प्रकाशन हुआ। डा0 रामगोपाल जी (आदमपुर), जो उन दिनों दिल्ली में विद्यार्थी थे, उन्होंने वह समाचार पढ़कर श्री मनीराम बिश्नोई, एडवोकेट को पत्र भेजा कि हमें इस प्रकार की मिथ्या घटनाओं को अपनी ही पत्रिका द्वारा खण्डन करना चाहिए। पत्रिका प्रकाशन पर विचार करने के लिए उन्होंने दिनांक 16.4.1949 को एक बैठक बुलाने के लिए लिखा जिसमें पत्रिका प्रकाशन में रुचि रखने वाले सभी बिश्नोई बन्धुओं को बुलाया गया। दिनांक 16.4.1949 को हुई बैठक में चौ॰ श्रीराम जी जाणी (प्रधान), चौ॰ सोहनलाल जी जौहर (उप-प्रधान), डाॅ0 रामगोपाल जी, चौ॰ रामजस जी पूनिया (लान्धड़ी), चौ॰ पोकरराम जी गोदारा (बड़ोपल), मुन्शी बोगाराम जी जाणी (धान्सू), श्री मनीराम बिश्नोई एडवोकेट, चौ॰ लेखराम जी कालीराणा (आदमपुर), सूबेदार प्रेमनारायण जी पूनिया (मंगाली), नायब सूबेदार सोहनलाल जी गोदारा (लान्धड़ी), चौ॰ रामप्रताप जी जौहर (सीसवाल), चौ॰ मनीराम जी गोदारा (बड़ोपल), मा. हनुमान जी कालीराणा (काजलहेड़ी), का0 सहीराम जी जौहर (नवजीवन प्रिन्टिंग प्रैस, हिसार) तथा मुन्शी रामरख जी जाणी (मन्त्री) उपस्थित हुए। इस बैठक में पत्रिका प्रकाशन हेतु मौटे तौर पर विचार-विमर्श हुआ।
# اگسٹن کی تاریخ زینوبیا کی ابتدائی زندگی کی تفصیلات بتاتی ہے ، حالانکہ اس کی ساکھ قابل اعتراض ہے۔ اگسٹن ہسٹری کے مطابق ، ملکہ بچپن میں ہی شکار کا شوق کرتی تھی۔ واضح طور پر وہ ایک جنرل نہیں ، وہ ایک عظیم پالمیرن لڑکی کے لئے موزوں تعلیم حاصل کرتی۔ اگسٹن ہسٹری کے مطابق ، اس کی پامیرن ارمایک مادری زبان کے علاوہ ، زینوبیا کو مبینہ طور پر مصر اور یونانی زبان میں روانی تھی اور وہ لاطینی زبان بولتا تھا۔ 14 (255 ء) کی عمر میں وہ پالمیرا کے راس (سوامی) اوڈیناتھس کی دوسری بیوی بن گئیں۔ پلمیرا میں عظیم خاندان اکثر آپس میں شادی کرتے ہیں ، اور یہ ممکن ہے کہ زینوبیا اور اوڈیناتھس نے کچھ باپ دادا کو بھی شریک کیا ہو۔
 
# بشنوئی سبھا ، ہسار کی میٹنگ 9.11.1967 کو چودھری رامارکھجی بھڈو (دھنگڈ) کی سربراہی کے دوران ہوئی ، جس میں یہ فیصلہ کیا گیا کہ <nowiki>"</nowiki> امر جیوتی <nowiki>"</nowiki> میگزین بیسنوئی سبھا ، ہسار کی نگرانی میں جنوری 1968 سے شائع ہوا تھا۔ جائیں گے اور تمام اخراجات اسمبلی کے ذمہ دار ہوں گے۔ اس طرح ، ساڑھے تیرہ سال کے بعد یہ میگزین سبھا کے تحت شائع ہونا شروع ہوا۔ میگزین کی اشاعت کا سال جون سے مئی تک تھا ، لیکن منشی رامرخ جی نے جون 1955 سے دسمبر 1955 تک کا ایک سال سمجھا اور انگریزی سال کے تقویم کے مطابق یکم جنوری سے دسمبر تک اس سال میں مزید توسیع کی۔<nowiki>''</nowiki>अमर ज्योति<nowiki>''</nowiki> पत्रिका का प्रकाशन एक साधारण घटना के परिणामस्वरूप हुआ। वर्ष 1949 ई0 में फाग वाले दिन आदमपुर मण्डी के किसी दुकानदार द्वारा भेजे गये पत्र के आधार पर एक मिथ्या घटना का <nowiki>''</nowiki>राष्ट्र दूत<nowiki>''</nowiki> (साप्ताहिक हिन्दी) हिसार में प्रकाशन हुआ। डा0 रामगोपाल जी (आदमपुर), जो उन दिनों दिल्ली में विद्यार्थी थे, उन्होंने वह समाचार पढ़कर श्री मनीराम बिश्नोई, एडवोकेट को पत्र भेजा कि हमें इस प्रकार की मिथ्या घटनाओं को अपनी ही पत्रिका द्वारा खण्डन करना चाहिए। पत्रिका प्रकाशन पर विचार करने के लिए उन्होंने दिनांक 16.4.1949 को एक बैठक बुलाने के लिए लिखा जिसमें पत्रिका प्रकाशन में रुचि रखने वाले सभी बिश्नोई बन्धुओं को बुलाया गया। दिनांक 16.4.1949 को हुई बैठक में चौ॰ श्रीराम जी जाणी (प्रधान), चौ॰ सोहनलाल जी जौहर (उप-प्रधान), डाॅ0 रामगोपाल जी, चौ॰ रामजस जी पूनिया (लान्धड़ी), चौ॰ पोकरराम जी गोदारा (बड़ोपल), मुन्शी बोगाराम जी जाणी (धान्सू), श्री मनीराम बिश्नोई एडवोकेट, चौ॰ लेखराम जी कालीराणा (आदमपुर), सूबेदार प्रेमनारायण जी पूनिया (मंगाली), नायब सूबेदार सोहनलाल जी गोदारा (लान्धड़ी), चौ॰ रामप्रताप जी जौहर (सीसवाल), चौ॰ मनीराम जी गोदारा (बड़ोपल), मा. हनुमान जी कालीराणा (काजलहेड़ी), का0 सहीराम जी जौहर (नवजीवन प्रिन्टिंग प्रैस, हिसार) तथा मुन्शी रामरख जी जाणी (मन्त्री) उपस्थित हुए। इस बैठक में पत्रिका प्रकाशन हेतु मौटे तौर पर विचार-विमर्श हुआ।
== عصر حاضر کی تصنیف کا ثبوت ==
{{متعدد تصاویر|align=right|direction=vertical|image1=Palmyra Julius Aurelius Zenobius inscription.jpg|caption1=[[पलमीरा]] पर शिलालेख, जूलियस ऑरेलियस ज़ेनोबियस को सम्मानित करते हुए, कुछ ने माना कि ज़ेनोबिया के पिता हैं}}
 
# پالیمیرا میں لکھا ہوا ، جولیس اوریلیئس زینوبیئس کی تعظیم کرتے ہوئے ، جسے کچھ لوگوں نے زینوبیا کا باپ سمجھا تھا جولیوس اوریلیئس زینوبیئس 23 مارچ 232 میں Palmyra کے حکمت عملی کے طور پر ایک Palmarine نوشتہ پر ظاہر ہوتا ہے۔ ناموں کی مماثلت کی بنیاد پر ، {{Sfn|Southern|2008}} زینوبیس کو ماہر شماریات الفریڈ وون ساللیٹ اور دوسروں نے زینوبیا کے والد کی حیثیت سے تجویز کیا تھا۔ {{Sfn|Hartmann|2001}} آثار قدیمہ کے ماہر ولیم وڈینگٹن نے بطور باپ زینبوئس کی شناخت کے حق میں دلیل پیش کی ، اس خیال پر کہ ان کا مجسمہ عظیم استعمار میں ملکہ کے مجسمے کے سامنے کھڑا ہے۔ تاہم ، ماہر لسانیات ژاں بیپٹسٹ چابوٹ نے نشاندہی کی کہ زینبیوس کا مجسمہ اوڈیناتھس کے برخلاف ہے جو زینوبیا نہیں ہے اور اس نے واڈنگٹن کے مفروضے کو مسترد کردیا۔
 
'''میگزین کے آغاز سے ہی ، رسالے کی فیس اس طرح سے ہے:''' - <ref>{{حوالہ ویب|url=https://www.amarjyotipatrika.com/|title=Amar Jyoti Patrika - Online Portal of Monthly Magazine for Bishnoi Community|website=www.amarjyotipatrika.com|accessdate=2020-04-25|archiveurl=https://web.archive.org/web/20191023190641/http://amarjyotipatrika.com/|archivedate=23 अक्तूबर 2019}}</ref><nowiki>''</nowiki>अमर ज्योति<nowiki>''</nowiki> पत्रिका का प्रकाशन एक साधारण घटना के परिणामस्वरूप हुआ। वर्ष 1949 ई0 में फाग वाले दिन आदमपुर मण्डी के किसी दुकानदार द्वारा भेजे गये पत्र के आधार पर एक मिथ्या घटना का <nowiki>''</nowiki>राष्ट्र दूत<nowiki>''</nowiki> (साप्ताहिक हिन्दी) हिसार में प्रकाशन हुआ। डा0 रामगोपाल जी (आदमपुर), जो उन दिनों दिल्ली में विद्यार्थी थे, उन्होंने वह समाचार पढ़कर श्री मनीराम बिश्नोई, एडवोकेट को पत्र भेजा कि हमें इस प्रकार की मिथ्या घटनाओं को अपनी ही पत्रिका द्वारा खण्डन करना चाहिए। पत्रिका प्रकाशन पर विचार करने के लिए उन्होंने दिनांक 16.4.1949 को एक बैठक बुलाने के लिए लिखा जिसमें पत्रिका प्रकाशन में रुचि रखने वाले सभी बिश्नोई बन्धुओं को बुलाया गया। दिनांक 16.4.1949 को हुई बैठक में चौ॰ श्रीराम जी जाणी (प्रधान), चौ॰ सोहनलाल जी जौहर (उप-प्रधान), डाॅ0 रामगोपाल जी, चौ॰ रामजस जी पूनिया (लान्धड़ी), चौ॰ पोकरराम जी गोदारा (बड़ोपल), मुन्शी बोगाराम जी जाणी (धान्सू), श्री मनीराम बिश्नोई एडवोकेट, चौ॰ लेखराम जी कालीराणा (आदमपुर), सूबेदार प्रेमनारायण जी पूनिया (मंगाली), नायब सूबेदार सोहनलाल जी गोदारा (लान्धड़ी), चौ॰ रामप्रताप जी जौहर (सीसवाल), चौ॰ मनीराम जी गोदारा (बड़ोपल), मा. हनुमान जी कालीराणा (काजलहेड़ी), का0 सहीराम जी जौहर (नवजीवन प्रिन्टिंग प्रैस, हिसार) तथा मुन्शी रामरख जी जाणी (मन्त्री) उपस्थित हुए। इस बैठक में पत्रिका प्रकाशन हेतु मौटे तौर पर विचार-विमर्श हुआ।
# زینوبیا کے ایک نوشتہ میں انھیں "سیپٹیمیا بیت زبائی ، اینٹیوکوس کی بیٹی" کے طور پر ریکارڈ کیا گیا ہے۔ {{Sfn|Macurdy|1937}} اینٹیوکس کی شناخت یقین کے ساتھ نہیں جانا جاتا ہے: ان کا سلسلہ پلمیرین شلالیھ میں درج نہیں ہے ، اور یہ نام پالمیرا میں عام نہیں تھا۔ زینبیا (زبی بائی کی بیٹی) کے نام معنی کے ساتھ مل کر اس نے ہارالڈ انگلٹ جیسے علمائے کرام کی قیاس آرائی کی کہ اینٹیوکوس دور کا باپ دادا تھا: سیلیوکس بادشاہ اینٹیکوس چہارم ایپی فینس یا اینٹی کوٹ وٹ سیڈز ، جس کی اہلیہ ٹولمی مٹی تھیں۔ تھییا مورخ رچرڈ اسٹون مین کی نظر میں ، زینوبیا نے قدیم مقدونیائی حکمرانوں سے اپنے آپ کو منسلک کرنے کے لئے کوئی مبہم نسب پیدا نہیں کیا ہوگا: اگر کسی من گھڑت خاندان کی ضرورت ہوتی تو زیادہ سیدھے تعلقات ایجاد ہوجاتے۔ اسٹون مین کے مطابق ، زینوبیا کے پاس "[اپنے سیلیوڈ نسب] پر یقین کرنے کی وجہ تھی۔" "مورخین پیٹریسیا سدرن ، نوٹ کرتے ہوئے کہ اینٹیوکوس کا ذکر شاہی لقب یا نابالغ نسب کے کسی اشارے کے بغیر کیا گیا تھا ، وہ یہ مانتے ہیں کہ وہ سلیوڈ بادشاہ کے بجائے براہ راست اجداد یا رشتے دار تھے جو زینوبیا سے تین صدی قبل زندہ رہتے تھے۔ .
 
<code>'''- सितम्बर, 1979 से जनवरी, 1983 तक 10/- रुपये'''</code>
# زینوبیا کے پلمیرن نام ، بیٹ زبا بائی کی بنیاد پر ، اس کے والد زبیائی کہلائے جاسکتے ہیں۔ متبادل کے طور پر ، زبائ زیادہ دور کے اجداد کا نام ہوسکتا ہے۔ مورخ ٹریور برائس نے بتایا کہ اس کا تعلق پلٹیمرا کے گیریژن لیڈر سیپٹیمس زبائی سے تھا اور وہ شاید اس کے والد بھی تھے۔ ماہرین آثار قدیمہ کے چارلس سائمن کلیمٹ گاناؤ نے جب "بیٹ زبا بائی" کے نام کے معنی ملانے کی کوشش کرتے ہوئے ملکہ کا ذکر انٹیکوس کی بیٹی کے طور پر کیا تھا ، اس نوشتہ کے ساتھ تجویز کیا گیا تھا کہ دو بھائی ، زوبائی اور انٹیکوس کا کوئی بچہ نہیں تھا۔ زیبئی کے ساتھ مرنا اور اپنی موت چھوڑنا۔ بیوہ اپنے بھائی انطیوکس سے شادی کرنے والی۔ چنانچہ ، چونکہ زینوبیا ایک غیر قانونی شادی سے پیدا ہوئی تھی ، لہذا وہ نظریاتی طور پر زبائی کی بیٹی تھی ، لہذا یہ نام رکھا گیا۔ {{Sfn|Macurdy|1937}}
 
<code>'''- अप्रैल, 2008 से 50/- रुपये'''</code>
== قدیم ماخذ ==
 
# اس رسالہ کا بنیادی مقصد معاشرتی اصلاحات ، تعلیم ، مذہبی قوانین کے تبلیغ اور ان کے جملے کو فروغ دینا ہے جیسے گرو جمبھیشور نے بتایا ہے تاکہ انسان مصائب میں گھومتے ہوئے سکون اور خوشی حاصل کر سکے اور بشنوئی معاشرہ منظم ہو۔ اس رسالے نے معاشرے میں اتحاد لانے اور معاشرے کے تمام طبقات کو ایک پلیٹ فارم پر اکٹھا کرنے اور باہمی مفاہمت کو بڑھانے کی سمت میں ایسا بے مثال کام کیا ہے جو ایک سو سالوں تک بھی اس کے بغیر ہونا ناممکن تھا۔ اس رسالے نے بچوں ، جوانوں اور خواتین کو مذہب کے بارے میں اعتماد پیدا کرنے کے لئے قابل ستائش کام کیا ہے۔ اس رسالے کا بنیادی مقصد معاشرے میں اچھے قارئین اور ادیب بننا بھی رہا ہے۔ میگزین نے ہمیشہ اس سمت میں سب کی حوصلہ افزائی کی ہے۔<nowiki>''</nowiki>अमर ज्योति<nowiki>''</nowiki> पत्रिका का प्रकाशन एक साधारण घटना के परिणामस्वरूप हुआ। वर्ष 1949 ई0 में फाग वाले दिन आदमपुर मण्डी के किसी दुकानदार द्वारा भेजे गये पत्र के आधार पर एक मिथ्या घटना का <nowiki>''</nowiki>राष्ट्र दूत<nowiki>''</nowiki> (साप्ताहिक हिन्दी) हिसार में प्रकाशन हुआ। डा0 रामगोपाल जी (आदमपुर), जो उन दिनों दिल्ली में विद्यार्थी थे, उन्होंने वह समाचार पढ़कर श्री मनीराम बिश्नोई, एडवोकेट को पत्र भेजा कि हमें इस प्रकार की मिथ्या घटनाओं को अपनी ही पत्रिका द्वारा खण्डन करना चाहिए। पत्रिका प्रकाशन पर विचार करने के लिए उन्होंने दिनांक 16.4.1949 को एक बैठक बुलाने के लिए लिखा जिसमें पत्रिका प्रकाशन में रुचि रखने वाले सभी बिश्नोई बन्धुओं को बुलाया गया। दिनांक 16.4.1949 को हुई बैठक में चौ॰ श्रीराम जी जाणी (प्रधान), चौ॰ सोहनलाल जी जौहर (उप-प्रधान), डाॅ0 रामगोपाल जी, चौ॰ रामजस जी पूनिया (लान्धड़ी), चौ॰ पोकरराम जी गोदारा (बड़ोपल), मुन्शी बोगाराम जी जाणी (धान्सू), श्री मनीराम बिश्नोई एडवोकेट, चौ॰ लेखराम जी कालीराणा (आदमपुर), सूबेदार प्रेमनारायण जी पूनिया (मंगाली), नायब सूबेदार सोहनलाल जी गोदारा (लान्धड़ी), चौ॰ रामप्रताप जी जौहर (सीसवाल), चौ॰ मनीराम जी गोदारा (बड़ोपल), मा. हनुमान जी कालीराणा (काजलहेड़ी), का0 सहीराम जी जौहर (नवजीवन प्रिन्टिंग प्रैस, हिसार) तथा मुन्शी रामरख जी जाणी (मन्त्री) उपस्थित हुए। इस बैठक में पत्रिका प्रकाशन हेतु मौटे तौर पर विचार-विमर्श हुआ।
# اگسٹن کی تاریخ میں ، زینوبیا کا دعویٰ کیا گیا ہے کہ وہ کلیوپیٹرا کی اولاد ہے اور ٹولیمی کا ایک نسل ہے۔ {{Sfn|Teixidor|2005}} سعودہ کے مطابق ، 10 ویں صدی کا بازنطینی انسائیکلوپیڈیا ، اس کے بعد مصر پر پامامین فتح ہوا۔ [[بترا|پیٹرا]] کے حاضر حاضر کالینس نے کلیوپیٹرا کے لئے مختص اسکندریہ کی دس جلدوں کی تاریخ لکھی ہے۔ جدید اسکالرز کے مطابق ، کلیوپیٹرا کے ذریعہ ، کالینیکس کا مطلب زینوبیا تھا۔ {{Sfn|Teixidor|2005}} {{Sfn|Teixidor|2005}} علامات کے علاوہ ، مصری سککوں یا زینوبیا کے کلیوپیٹرا کے ساتھ عصری محاذ آرائی کا کوئی علاج نہیں۔ یہ زینوبیا کے دشمنوں نے اسے بدنام کرنے کے لئے ایجاد کیا ہوگا۔ کلیوپیٹرا کے ساتھ تعلقات کے بارے میں زینوبیا کا مبینہ دعوی سیاسی طور پر حوصلہ افزا ہے ، کیوں کہ اس نے اسے مصر سے تعلقات بنانے اور اسے ایک جائز جانشین بنانے کی ترغیب دی ہے۔ ٹولیمیز کا عرش زینوبیا اور ٹولیمیز کے مابین کسی قسم کا اتحاد ممکن نہیں ہے ، اور کلاسیکی ذرائع کے ذریعہ بادلوں کے ذریعہ ٹولیمیز کی ملکہ کے سلسلے کو تلاش کرنے کی کوششیں اس کی خودمختاری ہیں۔
 
# میگزین نے 2 بھائیوں کے قریب لایا ہے جو بہت دور ہیں۔ کیونکہ یہ ہندوستان کے ہر کونے تک پہنچتا ہے اور رشتہ داروں کو پیغام دیتا ہے۔ اس کی وضاحت ایک مثال کے ذریعہ کی جارہی ہے۔ ستمبر 1952؛ نگیینہ کا رہائشی ڈاکٹر پریم چند چندن ان دنوں زرعی یونیورسٹی جابنر (جے پور) میں پڑھنے والا تھا۔ وہ اپنی اہلیہ کے ساتھ جابنر سے جے پور ٹرین جا رہا تھا۔ چودھری پونمچند جی بشنوئی جودھ پور (سابق وزیر ، سابق اسپیکر ، ودھان سبھا ، راجستھان) پہلے ہی وہونر اسٹیشن سے ٹرین کے ڈبے میں بیٹھے تھے۔ اس علاقے میں شہری لباس پہنے ہوئے جوڑے کو <nowiki>"</nowiki> امر جیوتی <nowiki>"</nowiki> میگزین ہاتھ میں رکھتے ہوئے اور تعارف جاننے کے خواہشمند دیکھ کر چودھری حیران ہوئے۔ اس طرح یہ رسالہ دونوں میں مفاہمت اور قربت قائم کرنے کا ذریعہ بن گیا۔ اس طرح ، یہ رسالہ ایک بطور ثالث باہمی تعلقات کو مضبوط کرتا ہے۔ نیز یہ رسالہ ہر طبقے (خاص طور پر نوجوانوں) کے لئے اپنے خیالات کا اظہار کرنے کے لئے ایک خوبصورت ذریعہ ہے اور حقیقت میں ہم دیکھتے ہیں کہ ہمارے نوجوان اس جریدے کے ذریعہ بہت ہی عمدہ انداز میں گرو جمبھیشور جی اور بشنوئی پنتھ کی طرف انکشاف کر رہے ہیں۔ اس کی اٹل وفاداری کا ثبوت پیش کریں۔
== عرب روایات اور الزببہ ==
 
# اس طرح یہ رسالہ ، مذہب ، معاشرتی اصلاحات ، تعلیم وغیرہ کے تبلیغ کے مقاصد کے ساتھ ، جون 1950 سے مستقل طور پر حرکت میں آرہا ہے۔ <ref><span data-segmentid="12" class="cx-segment"><span data-segmentid="72" class="cx-segment">॰ पोक</span></span></ref> . اور معاشرتی شعور کی علامت بنی ہوئی ہے۔
# اگرچہ کچھ عرب مورخین زینوبیا کو شیبہ کی ملکہ سے جوڑتے ہیں ، لیکن ان کے بیانات اس کی خوشنودی ہیں۔ {{Sfn|Ball|2002}} قرون وسطی کی عربی روایات میں پالمیرہ کی ایک ملکہ کی شناخت ہوتی ہے جس کا نام الزببہ ہے ، {{Sfn|Rihan|2014}} اور اس کا سب سے رومانوی بیان التبری سے ملتا ہے۔ {{Sfn|Ball|2002}} طبری کے مطابق ، وہ ایک عمالیقی تھی؛ اس کے والد 'امان ابن غریب' عمالق شیخ تھے ، جنھیں تنھوکڈس نے قتل کیا تھا۔ التبری نے الزببہ کی ایک بہن کی شناخت "زبیبہ" کے نام سے کی ہے۔ تنعمید بادشاہ جادیمہ ابن ملک ، جس نے ملکہ کے والد کو قتل کیا۔ التبری کے مطابق ، الزببہ نے 'فرات' کے ساتھ ایک قلعہ تعمیر کیا تھا اور اس نے پالمیرا پر حکومت کی تھی۔
 
# طبری کے بیان میں رومیوں ، اوڈیناتھس ، وابالاتھاس یا ساسانیوں کا ذکر نہیں ہے۔ {{Sfn|Millar|1993}} یہ قبائلیوں اور ان کے تعلقات پر توجہ مرکوز کرتے ہوئے ، کنودنتیوں میں ڈھیر ہے۔ {{Sfn|Southern|2008}} اگرچہ یہ اکاؤنٹ زینوبیا کی کہانی پر مبنی ہے ، {{Sfn|Millar|1993}} یہ شاید ایک نیم مشہور خانہ بدوش عرب ملکہ (یا ملکہ) کی کہانی سے واقف ہے۔ {{Sfn|Bryce|2014}} {{Sfn|Southern|2008}} قلعہ الزببہ شاید حلیبیbi تھا ، جسے پلمائن کی تاریخی ملکہ نے بحال کیا تھا اور اس کا نام زینوبیا رکھا تھا۔ {{Sfn|Millar|1993}}
 
== پالمیرا کی ملکہ ==
 
== یونین ==
 
# ابتدائی صدی عیسوی کے دوران ، پالمیرا روم کے ایک شہر اور شام کے صوبہ فونس کے کچھ حصے میں تھا۔ {{Sfn|Edwell|2007}} 260 ء میں رومن شہنشاہ ویلاریان نے ساسانید فارسی شہنشاہ شاپور اول کے خلاف مارچ کیا ، جس نے سلطنت کے مشرقی علاقوں پر حملہ کیا تھا۔ ویلین کو شکست دے کر ایڈیسہ کے قریب قید کرلیا گیا۔ اوڈیناتھس ، جو روم اور اس کے شہنشاہ گیلینئس (ولینرین کا بیٹا) کے باضابطہ وفادار تھا ، کو پالمیرا کا بادشاہ قرار دیا گیا۔ انہیں فارس کے خلاف کامیاب مہم چلاتے ہوئے 263 میں شاہ مشرق وسطی کا تاج پہنایا گیا۔ اوڈیناتھس نے اپنے بڑے بیٹے ہیروڈیانس کو شریک حاکم کی حیثیت سے تاج پوشی کی۔ شاہی القاب کے علاوہ ، اوڈیناتھس نے بہت سے رومن لقب حاصل کیے ، خاص طور پر کوریکٹوٹریوس اورینٹیس (پورے مشرق کا گورنر) ، اور بحیرہ اسود سے لے کر فلسطین تک رومی علاقوں پر حکمرانی کی۔ 267 میں ، جب زینوبیا بیسویں یا تیس کی دہائی کے اوائل میں تھی ، اوڈیناتھس اور اس کے سب سے بڑے بیٹے کو ایک مہم سے واپس آتے ہوئے قتل کردیا گیا تھا۔
 
# زینوبیا کا ملکہ کے طور پر ذکر کرنے کا پہلا نوشتہ اوڈیناتھس کی وفات کے دو یا تین سال بعد تھا ، اسی وجہ سے جب زینوبیا نے "ملکہ کی پالمیرا" کے لقب کو غیر یقینی سمجھا۔ تاہم ، جب اس کا شوہر بادشاہ ہوا تو اس کا نام ملکہ شاید رکھا گیا تھا۔ بطور ملکہ ، زینوبیا پس منظر میں رہی اور تاریخی ریکارڈ میں اس کا ذکر نہیں تھا۔ بعد کے اکاؤنٹس کے مطابق ، جیووانی بوکاکیو کے ایک بشمول ، اس نے اپنے شوہر کے ساتھ اپنی انتخابی مہموں میں حصہ لیا۔ اگر جنوبی کے مطابق ، اس کے شوہر کے ساتھ اس کے اکاؤنٹس درست ہیں تو ، زینوبیا فوجیوں کے حوصلے بلند کرتی اور اپنے بعد کے کیریئر میں اسے مطلوبہ سیاسی اثر و رسوخ حاصل کرتی۔
 
== اوڈیناتھس کو ہلاک کرنے میں ممکنہ کردار ==
 
# اگسٹن ہسٹری کے مطابق ، اوڈیناتھس کو میوونیئس نامی کزن نے قتل کیا تھا۔ اگسٹن کی تاریخ میں ، اوڈیناتھس کے بیٹے کا ان کی پہلی بیوی کا نام ہیروڈس تھا اور اس کا باپ کے ساتھ شریک اقتدار تھا۔ اگسٹن ہسٹری کا دعویٰ ہے کہ زینوبیا نے ایک وقت کے لئے میونیئس کے ساتھ سازش کی کیونکہ وہ اپنے سوتیلے بیٹے کو اپنے والد کا وارث (اپنے بچوں سے آگے) قبول نہیں کرتا تھا۔ اگسٹن ہسٹیڈوز نے یہ بیان نہیں کیا کہ زینوبیا اپنے شوہر کے قتل کا باعث بننے والے واقعات میں ملوث تھی اور اس جرم کا نام میونیئس کے اخلاقی زوال اور حسد کا ہے۔ مؤرخ ایلارک واٹسن کے مطابق اس اکاؤنٹ کو فرضی قرار دیا جاسکتا ہے۔ اگرچہ کچھ جدید اسکالرز کا مشورہ ہے کہ زینوبیا سیاسی عزائم اور اپنے شوہر کی رومن نواز پالیسی کی مخالفت کی وجہ سے اس قتل میں ملوث تھی ، لیکن انہوں نے تخت پر اپنے پہلے سالوں میں اوڈیناتھس کی پالیسیوں کو جاری رکھا۔
 
== ریجنٹ ==
 
# اگسٹن ہسٹری میں ، میونیئس اپنے فوجیوں کے ہاتھوں مارے جانے سے پہلے مختصر طور پر شہنشاہ تھا ، {{Sfn|Bryce|2014}} تاہم ، اس کے دور حکومت کے لئے کوئی نوشتہ یا ثبوت موجود نہیں ہے۔ {{Sfn|Brauer|1975}} اوڈیناتھس کے قتل کے وقت ، زینوبیا اپنے شوہر کے ساتھ ضرور رہی ہوگی۔ کراسلر جارج سنکلس کے مطابق ، وہ بٹھنیا میں ہرکیل پونٹیکا کے قریب مارا گیا تھا۔ ایسا لگتا ہے کہ سنسیلس نے اطلاع دی ہے کہ اس قتل کے بعد ایک دن ہموار ہونے کے بعد زینوبیا کو فوج کے حوالے کرنے کا وقت ہموار تھا۔ زینوبیا ہوسکتا ہے کہ وہ پالمیرا میں ہو ، لیکن اس سے ہموار منتقلی کا امکان کم ہوجاتا۔ ہوسکتا ہے کہ فوجیوں نے اپنے ایک افسر کو چن لیا ہو ، لہذا اس کا پہلا منظر نامہ اس کے شوہر کے ساتھ ہونے کا زیادہ امکان ہے۔ تاریخی ریکارڈ متفقہ ہے کہ زینوبیا نے بالادستی کی جنگ نہیں لڑی اور نہ ہی دس سالہ وابلتھس ولد اوڈیناتھس اور زینوبیا کے تخت کی منتقلی میں تاخیر کا کوئی ثبوت ہے۔ اگرچہ اس نے کبھی بھی اپنے حق میں حکمرانی کا دعوی نہیں کیا اور اپنے بیٹے کے لئے ایک عارضی طور پر کام کیا ، زینوبیا نے بادشاہی میں اقتدار کی لگام سنبھالی ، اور وابلتھس کو اپنی والدہ کے سائے میں رکھا گیا ، اور اس نے کبھی بھی حقیقی طاقت کا استعمال نہیں کیا۔ نہیں کیا۔
 
== طاقت کا استحکام ==
 
# پامیرن بادشاہت نئی تھی۔ وفاداری اوڈاناتھس کے ساتھ وفاداری پر مبنی تھی ، جس سے جانشین کے لئے اقتدار کی منتقلی زیادہ دشوار ہوگئی تھی کیونکہ یہ ایک قائم بادشاہت کو ہوتا ہے۔ {{Sfn|Watson|2004}} اوڈیناتھس نے اپنے بڑے بیٹے ، شریک بادشاہ کا تاج پوشی کرکے خاندان کے مستقبل کو یقینی بنانے کی کوشش کی ، لیکن دونوں کو قتل کردیا گیا۔ زینوبیا ، پامامین جانشینی کو محفوظ بنانے اور اپنے رعایا کی وفاداری کو برقرار رکھنے کے لئے روانہ ہوگئیں ، انہوں نے اپنے مرحوم شوہر اور اس کے وارث (بیٹے) کے مابین تسلسل پر اصرار کیا۔ واابالاتھس (غذائی عمل کی آرائش کے ساتھ) نے فورا ہی اپنے والد کا شاہی لقب سنبھال لیا ، اور اس کے قدیم ترین نامعلوم نے اسے شاہِ بادشاہ کے طور پر درج کیا۔
 
# اوڈیناتھس نے رومن وسطی کے ایک بڑے علاقے کو کنٹرول کیا ، اور اس خطے میں اعلی سیاسی اور فوجی اختیار رکھتے تھے ، اور رومی صوبائی گورنروں کو راغب کرتے تھے۔ ان کی خود ساختہ حیثیت شہنشاہ گیلینئس کے ذریعہ اختیار کی گئی تھی ، جس کے پاس انتخاب کے علاوہ بہت کم آپشن تھے۔ شہنشاہ اور مرکزی اتھارٹی کے نسبت اوڈیناتھس کی طاقت بے مثال اور لچکدار تھی ، لیکن اس کی موت تک تعلقات ہموار رہے۔ ان کے قتل کا مطلب یہ تھا کہ پلوامین حکمرانوں کے اختیار اور مقام کو واضح کیا جانا چاہئے ، جس کی وجہ سے اس کی ترجمانی کی مخالفت کی گئی۔ رومن عدالت نے اوڈیناتھس کو ایک مقررہ رومن افسر کی حیثیت سے دیکھا ، اس نے شہنشاہ سے اپنا اقتدار اخذ کیا ، لیکن پامیرن عدالت نے ان کے منصب کو موروثی قرار دیا۔ یہ تنازعہ سڑک پر روم اور پاممیرا کے مابین جنگ کا پہلا قدم تھا۔
 
[[فائل:Odaenathus_Kingdom.png|متبادل=Color-coded map of the ancient Near East|تصغیر| اوڈیناتھس (پیلا) اور پلومیرین ریاست (سبز) کے تحت رومی علاقوں]]
 
# اوڈیناتھس کے رومن لقب جیسے ڈکس رومانورم ، کریکٹر ٹوٹوئس اورینٹیس اور سلطنت ٹوٹیئس اورینٹیس اپنے شاہی مشرقی علاقوں سے مختلف تھے کیونکہ رومن صفیں موروثی نہیں تھیں۔ وابالتھاس نے اپنے شاہی لقبوں کا جائز دعوی کیا تھا ، لیکن رومیوں کا کوئی اختیار نہیں تھا - خصوصا اصلاح پسند (رومن نظام میں ایک سینئر فوجی اور صوبائی کمانڈر کی نمائندگی کرتے ہوئے) جن کی زینوبیا نے "اپنے بیٹے کے لئے" تھا۔ بادشاہ کے بادشاہ کے ساتھ "اس کی ابتدائی تحریروں میں۔ کنگز اگرچہ رومن شہنشاہوں نے شاہی جانشینی قبول کی ، رومن فوجی عہدے کے تصور نے سلطنت کی مخالفت کی۔ ہوسکتا ہے کہ شہنشاہ گیلینس نے مرکزی اختیار حاصل کرنے کی کوشش میں مداخلت کا فیصلہ کیا ہو۔ اگسٹن کی تاریخ کے مطابق ، پیش رو پیشہ ور اوریلئس ہریکلینئس کو مشرق میں شاہی حکمرانی کے دعوے کے لئے بھیجا گیا تھا اور اسے پالمیرن فوج نے بے دخل کردیا تھا۔ تاہم ، یہ مشکوک ہے ، کیوں کہ گیلیانس کے 268 قتل میں ہیرکلینز نے حصہ لیا تھا۔ اوڈیناتھس کو شہنشاہ ہونے سے کچھ عرصہ قبل ہی قتل کردیا گیا تھا ، اور وہ مشرق میں ہیرکلیائیوں کو بھیجنے ، پالمیرینس سے لڑنے اور بادشاہ کے خلاف مغرب میں وقت کے ساتھ سازش میں شامل ہونے سے قاصر رہتا تھا۔
 
== ابتدائی دور حکومت ==
[[فائل:Halabiya,N-wall.jpg|متبادل=Ruins of a sandstone fortress|تصغیر| حلیبی قلعہ نے اس کی تزئین و آرائش کے بعد ملکہ کے ذریعہ "زینوبیا" کا نام لیا]]
 
# زینوبیا کی علاقائی حکمرانی کے دوران اس کے ابتدائی دور حکومت کی حد پر بحث ہوئی۔ مؤرخ فرگس ملر کے مطابق ، اس کا اختیار پامیمرا اور ایمیسا تک 270 تک محدود تھا۔ {{Sfn|Southern|2008}} اگر یہ بات ہے تو ، 270 کے واقعات (جس نے زینوبیا کے لیوینٹ اور فتح مصر کو دیکھا) غیر معمولی ہے۔ زیادہ امکان ہے کہ ملکہ نے اپنے مرحوم شوہر کے زیر اقتدار علاقوں پر حکمرانی کی ، یہ نظریہ جنوبی اور مورخ یودو ہارٹمن کی حمایت کرتا ہے ، اور قدیم ذرائع (جیسے رومن مورخ یوٹروپیوس) کی حمایت کرتا ہے ، جس نے لکھا ہے کہ ملکہ کو اپنے شوہر کی طاقت ورثے میں ملی ہے۔ موصول ہوا اگسٹن کی تاریخ میں یہ بھی بتایا گیا ہے کہ گیانوس کے دور میں زینوبیا نے مشرق کا کنٹرول سنبھال لیا تھا۔ علاقائی کنٹرول میں توسیع کا مزید ثبوت بازنطینی مورخ زوسیمس کا ایک بیان تھا ، جس نے لکھا ہے کہ ملکہ کا انطاکیہ میں رہائش ہے۔ {{Sfn|Southern|2008}} ۔ {{Sfn|Nakamura|1993}} {{Sfn|Southern|2008}}
 
# قدیم وسائل سے دشمنی میں ملکہ کے ساتھ ہونے کی وجہ سے کوئی بدامنی ریکارڈ نہیں کی گئی ہے ، جس سے یہ معلوم ہوتا ہے کہ نئی حکومت کی کوئی سنجیدہ مخالفت نہیں ہے۔ {{Sfn|Southern|2008}} حزب اختلاف کے لئے سب سے واضح امیدوار رومن کا صوبائی گورنر تھا ، لیکن ذرائع یہ نہیں کہتے ہیں کہ زینوبیا نے ان میں سے کسی پر مارچ کیا یا انہوں نے اسے تخت سے ہٹانے کی کوشش کی۔ ہارتمین کے مطابق ، مشرقی صوبوں کے گورنروں اور فوجی رہنماؤں نے اوبدالاتھس کو عبیدناتھس کے جانشین کی حیثیت سے واضح طور پر اعتراف اور حمایت کی۔ زینوبیا کی ابتدائی حکمرانی کے دوران ، اس نے ہوران میں فارس کے ساتھ سرحدوں کی حفاظت اور تنھوکیوں کو پرسکون کرنے پر توجہ دی۔ فارسی محاذوں کی حفاظت کے لئے ، ملکہ نے فرات (قلعہ حلیبیا - بعد میں زینوبیا - اور زالابیا) سمیت متعدد بستیوں کو مضبوط کیا۔ مصیبت کے ثبوت ساسانیڈ فارسیوں کے ساتھ تصادم کے لئے موجود ہیں۔ شاید 269 میں ، وابلاتس نے فارس میکسمس (فارس میں عظیم فاتح) کی فتح کا لقب اختیار کیا تھا۔ اس کا تعلق شمالی میسوپوٹیمیا پر قابو پانے کی کوشش کرنے والی فارسی فوج کے خلاف نامعلوم جنگ سے ہوسکتا ہے۔ {{Sfn|Southern|2008}} {{Sfn|Southern|2008}} {{Sfn|Hartmann|2001}}
 
== تفصیل ==
 
# 269 ​​میں ، جب کلاڈیوس گوتھکیس (گیلینئس کا جانشین) جرمنی پر حملہ کے خلاف [[اطالیہ|اٹلی]] اور [[بلقان|بلقان کی]] سرحدوں کا دفاع کررہا تھا ، زینوبیا اپنا اختیار مستحکم کررہا تھا۔ ماضی میں ، رومن عہدیدار شہنشاہ کے ساتھ وفاداری اور زینوبیا سے وفاداری کے بڑھتے ہوئے مطالبات کے درمیان پھنس گئے تھے۔ مشرق میں اپنے اختیار کو مستحکم کرنے کے لئے ملکہ کے فوجی دستہ استعمال کرنے کے فیصلے کا وقت اور جواز واضح نہیں ہے۔ اسکالر گیری کے. ینگ نے مشورہ دیا کہ رومن حکام نے پاممرین کو صحیح طور پر پہچاننے سے انکار کردیا ، اور زینوبیا کی مہموں کا مقصد پالیمرین غلبہ برقرار رکھنے کے لئے تھا۔ دوسرا عنصر رومن مرکزی اتھارٹی کی کمزوری اور صوبوں کی حفاظت میں اس کی عدم صلاحیت کا بھی ہوسکتا ہے ، جس نے شاید زینوبیا کو باور کرایا کہ مشرق میں استحکام برقرار رکھنے کا واحد راستہ خطے کو براہ راست کنٹرول کرنا تھا۔ مورخ جیکس شوارٹز نے زینوبیا کے اقدامات کو پالمیرا کے معاشی مفادات کے تحفظ کی خواہش سے جوڑ دیا ، جنھیں روم کی طرف سے صوبوں کی حفاظت میں ناکامی کا خطرہ تھا۔ مزید یہ کہ ، شوارٹز کے مطابق ، معاشی مفادات متصادم ہیں۔ بوصیرہ اور مصر کو تجارت ملی جو دوسری صورت میں پلمائرا سے گزرتی ہے۔ الیگزینڈرا کے قریب تنخیز اور اسکندریہ کے سوداگروں نے پامامین کے تسلط کو دور کرنے کی کوشش کی ، شاید زینوبیا سے فوجی ردعمل کا آغاز کیا۔ {{Sfn|Young|2003}}
 
== سیریا اور عرب پیٹرا پر حملہ ==
 
# 270 کے موسم بہار میں ، جب کلاڈیئس تھریس کے پہاڑوں میں گوٹھوں سے لڑ رہا تھا ، زینوبیا نے اسے جنرل سیپٹیمیوس زبداس کے پاس بوسرا (صوبہ عربیہ پیٹریا کا دارالحکومت) بھیج دیا ، ملکہ کا وقت جان بوجھ کر معلوم ہوتا ہے۔ عرب میں رومن عربی ٹراسوس (لیجیو تھری سائرنیکا کی کمانڈ) ، {{Sfn|Watson|2004}} نے پلمرینیس کا مقابلہ کیا اور اسے پھانسی دے دی گئی۔ زبداس نے شہر پر قبضہ کرلیا ، اور زیروز ہیمون کے معبد کو تباہ کردیا ، لیجس کا عقیدت مند تھا۔ [90] زینوبیا کے زوال کے بعد ، ایک لاطینی نوشتہ اس کی تباہی کا سبب بنتا ہے: "الپیمیٹر ہیمون کا ہیکل ، جسے پلیماریائی دشمنوں نے تباہ کیا تھا ، اسے چاندی کے مجسمے اور لوہے کے دروازے سے دوبارہ تعمیر کیا گیا تھا۔" "ام الجمل شہر کو بھی پلماریوں نے ٹنموکیڈس کو زیر کرنے کی کوششوں کے سلسلے میں تباہ کردیا تھا۔
 
[[فائل:Bosra-Ruins.jpg|متبادل=Extensive ruins|دائیں|تصغیر| بوسرا ، پامیرا کھنڈرات]]
 
# اس کی فتح کے بعد ، زبداس نے وادی اردن کے ساتھ جنوب کی طرف مارچ کیا اور بظاہر اس کی بہت کم مخالفت ہوئی تھی۔ اس بات کا ثبوت موجود ہے کہ پیٹرا پر ایک چھوٹی سی لاتعلقی نے حملہ کیا تھا ، جو اس خطے میں داخل ہوا تھا۔ عرب اور یہودیہ کو آخر کار محکوم کردیا گیا۔ عرب میں پالیمرین غلبہ کی تصدیق کئی سنگ میلوں سے ہوتی ہے جن کا نام وابلاتھا ہے۔ شامی محکومیت کو تھوڑی محنت کی ضرورت تھی کیونکہ وہاں زینوبیا کو خاطر خواہ حمایت حاصل ہوئی ، خاص طور پر انٹیچ میں شام کا روایتی دارالحکومت۔ کلاڈیوس کے نام پر سکہ کی پیداوار رکنے کے ساتھ ہی اینٹیوکیئن ٹکسال کے عرب حملے کا اشارہ ہے ، اس بات کا اشارہ ہے کہ زینوبیا نے شام پر اپنی گرفت مضبوط کرنا شروع کی ہے۔ نومبر 270 تک ، پودینے نے وابلتھس کے نام پر سکے جاری کرنا شروع کردیئے۔
 
# عرب کے سنگ میل نے پامرین بادشاہ کو رومن کے گورنر اور کمانڈر کی حیثیت سے پیش کیا ، اور اسے وائرل کلارسمس ریکس کے قونصل آجر ڈیوکس رومانورم کے طور پر حوالہ کیا۔ اس طرح کے عنوان کا تصور غالبا X زینوبیا صوبے کے کنٹرول کو قانونی حیثیت دینا تھا ، جو ابھی تک شاہی لقب کا استعمال نہیں ہوا تھا۔ ابھی تک ، زینوبیا یہ کہہ سکتی تھی کہ وہ شہنشاہ کے نمائندے کی حیثیت سے کام کر رہا تھا (جو سلطنت کی مشرقی سرزمینوں کو محفوظ بنا رہا تھا) ، جبکہ رومن شہنشاہ یورپ میں تنازعات کا شکار تھے۔
 
===== مصر اور ایشیا کوچک میں مہم =====
 
# زینبیا کی فرات کے لئے متبادل تجارتی راستہ محفوظ کرنے کی خواہش کے ذریعہ بعض اوقات مصری حملے کی وضاحت کی گئی ہے ، جو فارس کے ساتھ جنگ کی وجہ سے منقطع ہو گیا تھا۔ {{Sfn|Smith II|2013}} یہ نظریہ اس حقیقت کو نظر انداز کرتا ہے کہ فرات کے راستے کو صرف جزوی طور پر خلل پڑا تھا ، اور وہ زینوبا کے عزائم کو نظر انداز کرتی تھی۔ اس مہم کی تاریخ غیر یقینی ہے۔ زیموس نے اسے نائس کی لڑائی کے بعد اور کلاڈیس کے مرنے سے پہلے رکھ دیا تھا ، جو اسے 270 کے موسم گرما میں طے کرتا ہے۔ واٹسن نے اکتوبر 270 میں (کلاؤڈیس کی موت کے بعد) حملہ کیا ، اس نے زونارس اور سنسیلس کے کاموں پر زور دیا اور زوسیمس کے اکاؤنٹ کو خارج کردیا۔ واٹسن کے مطابق ، مصر پر قبضہ زینوبیا کا ایک موقع پسند اقدام تھا (اگست میں کلاڈیس کی موت کی خبر سے حوصلہ افزائی)۔ ہوسکتا ہے کہ مصر کے مشرقی سرحدی علاقے پر پامیرینس کی موجودگی سے اس صوبے میں بدامنی پھیل سکتی ہے ، جس کا معاشرہ بکھر گیا تھا۔ زینوبیا کے مقامی مصریوں میں حامی اور دشمن تھے۔
 
# مصر کے سابقہ صدر ، جو قزاقوں سے لڑ رہے تھے ، ٹینگینو پروبس کی عدم موجودگی سے رومن کی صورتحال خراب ہوگئی۔ {{Sfn|Watson|2004}} {{Sfn|Southern|2008}} زوسمس کے مطابق ، پلمینیس کی مدد ایک تیمنیس نامی مصری جنرل نے کی۔ زبداس نے 50،000 رومیوں کی فوج کو شکست دی اور 70،000 فوجیوں کے ساتھ مصر چلے گئے۔ اس کی فتح کے بعد ، پامیمین اپنی اہم قوت واپس لے گئے اور 5،000 فوجیوں کی قید سے باہر چلے گئے۔ نومبر کے اوائل میں ، تیناگینو پروبس واپس آئے اور ایک فوج جمع کی۔ اس نے پلمینیس کو بے دخل کردیا اور الیگزینڈریہ دوبارہ حاصل کرلیا ، زیباڈاس کو واپس آنے کا اشارہ کیا۔ پلمیرن جنرل نے اسکندریہ پر زور دیا جہاں انہیں مقامی حمایت حاصل تھی۔ یہ شہر زبداس کے قبضہ میں آگیا اور رومن صوبہ جنوب کی طرف فرار ہوگیا۔ آخری جنگ بابل کے قلعے میں ہوئی تھی ، جہاں تیناگو پروبس نے پناہ لی تھی۔ رومیوں کا اوپری ہاتھ تھا ، کیونکہ انہوں نے احتیاط سے اپنے کیمپ کا انتخاب کیا۔ تیمجنیس ، اس زمین کے بارے میں اپنے علم کے ساتھ ، رومن کے عقبی حصے پر گھات لگاتا ہے۔ ٹیناگینو پروبس نے خودکشی کرلی ، اور مصر پلمیرا کا حصہ بن گیا۔ اگسٹن کی تاریخ میں ، بلمی زینوبیا کے ساتھیوں میں شامل تھے ، اور گیری کے. نوجوان نے بلومیس کے حملے اور 268 میں کوپٹوس کے قبضے کو ایک معدنی - بوممی اتحاد کے ثبوت کے طور پر پیش کیا ہے۔
 
[[فائل:Palmyrene_Empire.png|متبادل=Color-coded map of Palmyra|تصغیر| پامیرا 271 ء میں اپنے عروج پر]]
 
# زینوبیا نے پالمیرین کافر پرستی کی پیروی کی ، جہاں کئی سامی دیوتاؤں ، بیل کے ساتھ ، پینتھیون کے سر کی پوجا کی جاتی تھی۔ زینوبیا میں عیسائی اور یہودی آباد تھے ، اور قدیم نے ملکہ کے عقائد کے بارے میں بہت سے دعوے کیے تھے۔ مانیچسٹ ذرائع نے الزام لگایا کہ زینوبیا ان میں سے ایک ہے۔ تاہم ، زیادہ امکان ہے کہ زینوبیا نے روم کے پسماندہ گروہوں کی حمایت کو راغب کرنے کی کوشش میں تمام تر الزامات کو برداشت کیا۔
 
# صرف جوسمس نے ان دو حملوں کا تذکرہ کیا ، بہت سارے علماء کے ساتھ اس کے برخلاف ، جو ابتدائی یلغار اور کسی پسپائی سے باز نہیں آئے (ایک کمک کے بعد ، جس نے اسکندریہ کو 270 کے آخر تک پہنچایا تھا)۔ مصری مہم کے دوران ، روم کلاڈیئس کے بھائی کوئنٹیلس اور جنرل اوریلین ، مصری پاپیری اور سککوں کے مابین مصر میں پامیرن کی حکمرانی کی تصدیق کے مابین پے درپے بحرانوں میں الجھ گیا تھا۔ پے درپے بحران کے سبب ستمبر سے نومبر 270 تک کے بادشاہوں کے رجعت پسند سالوں کا استعمال تھراپی بند ہوا۔ ریگل ڈیٹنگ کا آغاز دسمبر کے بعد ہوا ، اس نے شہنشاہ اوریلین کے دوبارہ سالوں کا استعمال کرتے ہوئے پیپری اور وابلتھس ، جو زینوبیا کے بیٹے کے ساتھ تھے۔ مصری سکے 270 نومبر تک اوریلین اور پامرین بادشاہوں کے ناموں سے جاری کیے گئے تھے۔ اس بات کا کوئی ثبوت نہیں ہے کہ زینوبیا کبھی مصر آیا تھا۔
 
# اگرچہ زبداس کی دوسری کمان کے کمان ضبائی کے تحت آپریشن سیپٹیمیوس کا آغاز ہوسکتا ہے ، 271 کے موسم بہار میں زبداس کی آمد تک ایشیاء مائنر پر حملہ مکمل طور پر شروع نہیں ہوا تھا۔ پالیمرنس نے گالیٹیا کو دریافت کیا اور ، جوسمس کے مطابق ، اناسرا پہنچا۔ بیتھینیا اور سیزکس ٹکسال زینوبیا کے کنٹرول سے باہر ہی رہے اور ہیسڈن کو زیر کرنے کی ان کی کوششیں ناکام ہو گئیں۔ ایشیاء معمولی مہم کی دستاویزات ناقص دستاویزات کے ساتھ ہیں ، لیکن خطے کا مغربی حصہ ملکہ کے اختیار کا حصہ نہیں بنا تھا۔ زینوبیا یا وابالاتھا کی تصویر والے کوئی بھی سکے مائنر ایشیاء میں نہیں لکھے گئے تھے ، اور کسی شاہی پلمینی لکھاوٹ میں نہیں ہیں۔ مل گیا ہے 271 اگست تک زبداس پالمیرا میں واپس آگیا ، اس وقت پالمرا بادشاہت اپنے عروج پر تھی۔
 
== گورننس ==
 
# زینوبیا نے مختلف لوگوں کی سلطنت پر حکومت کی۔ ایک پالمیرین کی حیثیت سے ، وہ کثیر لسانی اور کثیر الثقافتی تنوع سے نمٹنے کی عادی تھی کیونکہ وہ ایک ایسے شہر سے آئی تھی جس نے بہت ساری خامیوں کو تسلیم کیا تھا۔ {{Sfn|Southern|2008}} ملکہ کا علاقہ ثقافتی طور پر مشرقی سیمیٹک اور ہیلینسٹک علاقوں میں تقسیم کیا گیا تھا۔ زینوبیا نے دونوں کو خوش کرنے کی کوشش کی ، اور اس نے اس خطے کے نسلی ، ثقافتی اور سیاسی گروہوں سے کامیابی کے ساتھ اپیل کی ہے۔ {{Sfn|Watson|2004}} ملکہ نے شامی شہنشاہ ، ایک ہیلینسٹک ملکہ ، اور ایک رومن مہارانی کی شبیہہ پیش کی ، جس کی ان کی بھر پور حمایت کی گئی۔ {{Sfn|Nakamura|1993}}
 
==== ثقافت ====
[[فائل:Colossi_of_Memnon_May_2015_2.JPG|متبادل=Two huge statues of seated figures|تصغیر| زینوبیا کے ذریعہ میمن کا دائیں کاللوس بحال ہوا۔]]
 
# زینوبیا نے اپنے دور اقتدار کو ایک مرکز تعلیم کی حیثیت سے تبدیل کردیا ، بہت سارے دانشور اور ادبیات نے اپنے دور حکومت میں پالمیرا کو اطلاع دی۔ {{Sfn|Andrade|2013}} جیسے ہی ماہرین تعلیم شہر میں ہجرت کر گئے ، اس نے کلاسیکی تعلیم کے مراکز جیسے ایتھنز کے لئے ایتھنز کی جگہ لی۔ سب سے مشہور دربار کے فلسفی لونگینس تھے ، جو اوڈیناتھس کے دور میں آئے اور پیڈیا (معبد تعلیم) میں زینوبیا کے استاد بن گئے۔ جوسمس سمیت بہت سے مورخین نے لانگینس پر روم کی مخالفت کرنے کے لئے ملکہ کو متاثر کرنے کا الزام عائد کیا۔ یہ منظر ملکہ کو بے چارے کی حیثیت سے پیش کرتا ہے ، لیکن ، دکشینہ کے مطابق ، زینوبیا کے اقدامات کو "لانگینس کے دروازے پر مکمل طور پر نہیں رکھا جاسکتا ہے۔" عدالت سے وابستہ دیگر دانشوروں میں ٹریپیزس کے نیکوپراٹس اور پیٹرا کا کولنیکس شامل تھے۔
 
# دوسری سے چوتھی صدی تک ، شامی دانشوروں کا استدلال تھا کہ یونانی ثقافت یونان میں فروغ نہیں پایا ، بلکہ اسے قریب مشرق میں ڈھال لیا گیا تھا۔ Imbalichus کے مطابق ، عظیم یونانی فلاسفروں نے مشرقی اور مصری کے نظریات کو دوبارہ استعمال کیا۔ پامینیرین عدالت نے غالبا اس مکتبہ فکر پر غلبہ حاصل کیا تھا ، ایک دانشورانہ داستان کے ساتھ کہ پامیرا کی سلطنت رومی سلطنت کے بعد ایک فارسی ، سیلیوسیڈ ، اور ٹولیک کے حکمران بن گئی تھی جس نے اس خطے کو کنٹرول کیا تھا جس میں مبینہ طور پر ہیلینسٹک ثقافت پیدا ہوا تھا۔ تھا۔ نیکوسٹیٹس نے ایک تاریخ لکھی۔ رومی سلطنت کے فلپ عرب سے تعلق رکھنے والے اوڈی ناتھس ، بعد کے مؤقف کو ایک جائز شاہی وارث کے طور پر پیش کرتے ہیں اور اپنی کامیابیوں کا مقابلہ شہنشاہوں کے تباہ کن دور سے کرتے ہیں۔
 
# زینوبیا نے مصر میں بحالی کے متعدد منصوبے اپنائے۔ میمن کا ایک کالسی گائیکی کے لئے نوادرات میں ممتاز تھا۔ مجسمے میں شگاف پڑنے کی وجہ سے ، یہ شگاف شگاف میں شبنم کے ساتھ شمسی کرنوں کے ساتھ رابطے میں تھا۔ تاریخ دان گلین بوؤرز نے ملکہ کولاسس کو بحال کرنے کی تجویز پیش کی۔ {{Sfn|Bowersock|1984}}
 
==== مذہب ====
 
# اسکندریہ کے بشپ ایتھناسس نے لکھا ہے کہ زینوبیا نے "یہودیوں کے عبادت خانے میں گرجا گھروں کو شامل نہیں کیا تھا۔" اگرچہ ملکہ عیسائی نہیں تھی ، لیکن وہ عیسائی برادریوں میں بشپ کی طاقت کو سمجھتی تھی۔ اینٹیوچ میں - سابق سیاسی کنٹرول کے نمائندے اور ایک بڑی مسیحی برادری سے وابستہ - زینوبیا نے بااثر گرووں کو برقرار رکھا ، ممکنہ طور پر سموسہ کے پال سمیت ، اس کی سرپرستی میں چرچ پر۔ ہوسکتا ہے کہ اس نے پولس کو دوزناریئس (معمولی جج) کا درجہ دیا ہو۔ انہوں نے واضح طور پر ملکہ کی سرپرستی سے لطف اندوز ہوا ، جس نے ایک بشپ کے Synod کے ذریعہ 268 میں انطاکیہ کے بشپ کے طور پر ہٹائے جانے کے بعد ، ڈیوسیسان چرچ کو برقرار رکھنے میں ان کی مدد کی۔
 
[[فائل:Relief_Bel_Baalshamin_Yarhibol_Aglibol_MBA_Lyon_1992-13.jpg|تصغیر| پالمیرا کے سب سے اہم دیوتاؤں: (دائیں سے بائیں) بیل ، یاریبول ، یوگلیبول اور بالاشمن]]
 
# زینوبیا کے اقتدار کے ایک سو سال بعد ، اسکندریہ کے اتھاناسس نے انہیں اپنی تاریخ کی ایریائیئنز میں "یہودی" کہا۔ {{Sfn|Teixidor|2005}} 391 میں ، آرچ بشپ جان کرسوسٹوم نے لکھا کہ زینوبیا یہودی تھا۔ اس کے ل 6 664 کے لگ بھگ ایک سریا کراسر اور تیرہویں صدی کے بشپ ہیبیریس نے ایک بشپ بنایا۔ فرانسیسی اسکالر زاویر ٹیکسیڈر کے مطابق ، زینوبیا شاید ایک پراسیکیوٹر تھا۔ اس سے ربیوں کے ساتھ اس کے کشیدہ تعلقات کی وضاحت ہوئی۔ ٹیکسیڈور کا خیال تھا کہ زینوبیا [[یہودیت]] میں دلچسپی لیتی ہے ، لانگینس نے فلسفیانہ پورفیری اور عہد نامہ میں اس کی دلچسپی کے بارے میں گفتگو کی۔ اگرچہ تلمیڈک ذرائع ندریہ کے یہودیوں پر اوڈیناتھس کے دباؤ کی وجہ سے پالمیرا سے دشمنی رکھتے تھے ، لیکن زینوبیا کو واضح طور پر کچھ یہودی برادریوں (خاص طور پر اسکندریہ میں) کی حمایت حاصل تھی۔ [[قاہرہ|قاہرہ میں]] ، پہلا صدی قبل مسیح کی آخری سہ ماہی میں شاہ ٹولیمی یورٹریٹس کے ذریعہ اصل میں پائے جانے والے ایک نوشتہ کو یہودی عبادت خانہ کو استثنیٰ فراہم کرنے کی تصدیق کی گئی تھی۔ بہت بعد کی تاریخ میں ، ملکہ اور بادشاہ کے کہنے پر تختی کو دوبارہ "استثنیٰ کی بحالی" کے لئے دوبارہ لکھا گیا۔ اگرچہ یہ کالعدم نہیں ہے ، شلالیھ کلیوپیٹرا اور انتھونی کے عہد کے بہت بعد کے ہیں۔ زینوبیا اور اس کا بیٹا ٹولیمیز کے بعد کسی بادشاہ اور ایک حکمران مصر کے لئے واحد امیدوار ہیں۔ {{Sfn|Bowersock|1984}} {{Sfn|Smallwood|1976}}
 
====== یہودیت ======
 
# مورخ ای. مریم سمال ووڈ نے لکھا کہ مہاجر برادری کے ساتھ اچھے تعلقات کا مطلب یہ نہیں تھا کہ فلسطین کے یہودی زینوبیا کے دور حکومت سے راضی تھے اور اس علاقے میں اس کی حکمرانی کی واضح طور پر مخالفت کی گئی تھی۔ {{Sfn|Smallwood|1976}} ٹریموٹ ربی "اممی" اور ربی "سموئیل بار نہمینی" کی کہانی سناتا ہے ، جو زینوبیا کے دربار میں گیا اور اس کے حکم پر ایک زیر حراست یہودی ("زیر بار حنا") کی رہائی کا مطالبہ کیا۔ ملکہ نے انکار کرتے ہوئے کہا: "تم اسے بچانے کیوں آئے ہو؟ وہ سکھاتا ہے کہ آپ کا خالق آپ کے لئے حیرت کا باعث ہے۔ کیوں نہ خدا اسے بچائے؟ "اورلیان کی پولیمارا کی تباہی کے دوران ، فلسطینی" کلب اور کڈجیل "سے متفق ہیں۔ (جو یہودی ہوسکتا ہے) نے زینوبیا کی شکست اور اس کے شہر کی تباہی میں اہم کردار ادا کیا۔
 
# زینوبیا کے یہودی کی حیثیت سے پیدائش کا کوئی ثبوت نہیں ہے۔ اس کے اور اس کے شوہر کے کنبوں کے نام ارایمک اونوم اسٹون (ناموں کا جمع) سے تعلق رکھتے تھے۔ پولس نے ملکہ کے سموسات (جس پر "فیصلہ" لگانے کا الزام لگا تھا) کے مبینہ تحفظ سے ، اس خیال کو جنم دیا ہوگا کہ وہ ایک ملزم تھا۔ صرف عیسائی اکاؤنٹ زینوبیا کی یہودیت پر توجہ دیتے ہیں۔ کسی یہودی ذرائع نے اس کا تذکرہ نہیں کیا۔ {{Sfn|Graetz|2009}}
 
==== انتظامیہ ====
 
# ملکہ نے شاید اپنے بیشتر دور حکومت شام کے انتظامی دارالحکومت ، انطاکیہ {{Sfn|Teixidor|2005}} میں گزارے۔ بادشاہت سے قبل ، پالمیرا کے پاس یونانی شہر (پولس) میں ادارے تھے اور ایک سینیٹ کے زیر اقتدار تھا جو زیادہ تر شہری امور کے ذمہ دار تھا۔ پامیرن کے ایک شلالیھ میں پامیرین سینیٹر ، سیپٹیمیوس ہڈوڈن کا نام درج ہے جب اوڈیناتھس نے پامیرا کے اداروں کو زینوبیا کی حیثیت سے برقرار رکھا تھا۔ تاہم ، ملکہ نے بظاہر خود مختار حکومت کی۔ اوڈیناتھس کا وائسرائے سیپٹیمیوس ووروڈ اور پامیرا کے ایک اہم ترین عہدیدار ، زینوبیا کی چڑھائی کے بعد ریکارڈ سے غائب ہوگئے۔ ملکہ نے اپنی حکومت کے دروازے مشرقی شرافت کے لئے کھول دیئے۔ زینوبیا کے سب سے اہم درباری اور مشیر اس کے کمانڈر سیپٹیمیوس زبداس اور سیپٹیمئس زبائی ، دونوں اوڈیناتھس کے ماتحت جنرل تھے ، اور ان سے جینٹیلیئم (کنیت) "سیپٹیمئس" حاصل کیا۔
 
# اوڈیناتھس نے رومن شہنشاہ کے ذریعہ صوبائی گورنر مقرر ہونے کے اعزاز کا احترام کیا اور زینوبیا نے اپنے ابتدائی دور میں اس پالیسی کو جاری رکھا۔ اگرچہ ملکہ نے روزانہ انتظامیہ میں مداخلت نہیں کی تھی ، لیکن یہ شاید ان کی طاقت تھی کہ سرحدی تحفظ کی تنظیم میں گورنرز کا حکم دیں۔ بغاوت کے دوران، زنوبیہ انتظامیہ کے رومن شکلوں برقرار رکھا، لیکن جہاں جولیس مارسیلینس 270 میں عہدہ سنبھالا اور پھر 271. میں Statilius Ammenius کی طرف سے لیا گیا تھا مصر میں سب سے اہم خود گورنر مقرر ( {{Sfn|Watson|2004}} {{Sfn|Southern|2008}}
 
==== روم کے ساتھ معاہدہ ====
 
# زینوبیا ابتدا میں اپنے لئے روم کا دعوی کرنے سے گریز کرتی تھی اور اس کا لقب اپنے بیٹے کو دیتا تھا ، جو روم سے اوڈیناتھس کے بارے میں وراثت میں ملتا تھا اور اس کی مشرقی سرحد کا محافظ تھا۔ {{Sfn|Bryce|2014}} اپنے علاقے کو وسعت دینے کے بعد ، اس نے سلطنت کے مشرقی حصے میں شاہی ساتھی کی حیثیت سے پہچاننے کی کوشش کی ہے اور اپنے بیٹے کو شہنشاہ کے ماتحت کی حیثیت سے پیش کیا۔ {{Sfn|Watson|2004}} {{Sfn|Bryce|Birkett-Rees|2016}} {{Sfn|Watson|2004}} {{Sfn|Bryce|Birkett-Rees|2016}} {{Sfn|Southern|2008}} {{Sfn|Bryce|Birkett-Rees|2016}} {{Sfn|Southern|2008}} 270 کی دہائی کے اواخر میں ، زینوبیا نے سککوں کی نقاب کشائی کی جس میں اوریلین اور وابالتھاس کی پینٹنگز دکھائی گئیں۔ اوریلین کو "شہنشاہ" اور وہبلتھاس کو "بادشاہ" کا لقب دیا گیا تھا۔ سکے کی ابتدائی نمونوں میں ، برآمد ہونے والا سال صرف اوریلین کا تھا۔ 271 مارچ تک ، اورلیان کو سپریم شہنشاہ کے طور پر اشارہ کرنے کے باوجود ، اس کا نام پہلے ڈیٹنگ کے فارمولے میں لیا گیا ، اس سکے نے بھی وابلتھس کے سال کو متاثر کرنا شروع کیا۔ سکے کی علامت سے پتہ چلتا ہے کہ وابلتھس کا راج 267 (شہنشاہ سے تین سال پہلے) میں شروع ہوا تھا ، جب وابلتھس اوریلین کے سینئر حلیف کے طور پر پیش ہوا تھا۔ {{Sfn|Ando|2012}}
 
# پالمیرن اتھارٹی کی شہنشاہ کی برکت پر بحث ہوئی۔ {{Sfn|Southern|2008}} مصر میں پیلیمرین کی حکمرانی کے بارے میں اوریلیان کی قبولیت کا پتہ آکسیرینچس پپری کو مل سکتا ہے ، جو شہنشاہ اور ولبٹھاس کی ولادت کے سالوں سے ہے۔ {{Sfn|Watson|2004}} {{Sfn|Ando|2012}} {{Sfn|Watson|2004}} {{Sfn|Ando|2012}} باضابطہ معاہدے کا کوئی ثبوت موجود نہیں ہے ، اور اس کا ثبوت مشترکہ اتفاق- اور تھراپی ڈیٹنگ پر مبنی ہے۔ اس بات کا امکان نہیں ہے کہ اوریلین نے اس طرح کی بجلی کی تقسیم کو قبول کرلیا ہو ، لیکن وہ مغرب کے بحران کی وجہ سے کام کرنے سے قاصر تھا۔ زینوبیا کے اقدامات کے بارے میں اس کی واضح تعزیت ، جنگ کے لئے تیار رہتے ہوئے اسے سلامتی کا غلط احساس دلانے کی ایک وجہ ہو سکتی ہے۔ اوریلین کی برداشت کی ایک اور وجہ مصری اناج کی مسلسل فراہمی کو یقینی بنانا اس کی خواہش بھی ہوسکتی ہے۔ روم؛ یہ درج نہیں ہے کہ سامان کو کاٹا گیا تھا ، اور جہازوں کو معمول کے مطابق 270 میں روم بھیجا گیا تھا۔ کچھ جدید اسکالرز ، جیسے ہیرولڈ میٹنگلی ، بیان کرتے ہیں کہ کلودیوس گوتھکیس نے زینوبیا کے ساتھ باضابطہ معاہدہ کیا تھا جس کو اوریلین نے نظرانداز کردیا تھا۔ {{Sfn|Southern|2008}}
 
==== عظمت اور کھلی سرکشی ====
[[فائل:ZENOBIA_-_RIC_V_2_-_80000750.jpg|تصغیر| زینوبیا سکے ، بطور مہارانی ، 272 ء]]
 
# 271 اگست کو پلمائرا میں پائے جانے والے اور زینوبیا یوسیب (مقدس) کہلائے جانے والا ایک نوشتہ {{Sfn|Watson|2004}} رومن سلطنتوں کے زیر استعمال اس لقب کو ملکہ ایک شاہی لقب کی طرف ایک قدم کے طور پر دیکھ سکتا ہے۔ ایک اور عصری تحریر میں اس کو "ذات" (لاطینی: آگسٹا) کے یونانی مساوی کہا جاتا ہے ، بلکہ اس نے رومن شہنشاہ کو بھی تسلیم کیا۔ دیر سے 271 مصری اناج کی رسید اوریلیئن اور وابلتھس کے برابر تھی ، جسے مشترکہ طور پر آوسٹٹی کہا جاتا ہے۔ آخر کار ، پلمیرا نے باضابطہ طور پر روم سے توڑ ڈالا۔ اسکندریائی اور اینٹیوچین ٹکسالوں نے وایلاتھا اور زینوبیا (بالترتیب آگسٹا اگسٹا کہلانے والے) کے نام سے نئے ٹیٹراگرام جاری کرتے ہوئے اپریل 272 میں سکرین سے اورلیئن کی تصویر ہٹا دی۔ {{Sfn|Watson|2004}}
 
# زینوبیا کے شاہی لقب کے تصور نے ایک الہام کی نشاندہی کی: آزادی ، اوریلین کے خلاف کھلی بغاوت۔ {{Sfn|Southern|2015}} واقعات کا وقت اور کیوں زینوبیا نے خود کو مہارانی قرار دیا یہ واضح نہیں ہے۔ 271 کے دوسرے نصف حصے میں ، اورلن نے مشرق کا سفر کیا ، لیکن بلقان میں گوٹھوں کے ذریعہ تاخیر ہوئی۔ اس سے شاہی لقب کا دعوی کرتے ہوئے ملکہ کو پریشان ہوسکتا ہے۔ زینوبیا نے اوریلین کے ساتھ کھلے عام تصادم کی ناگزیریت کو بھی سمجھا تھا ، اور فیصلہ کیا ہے کہ جاگیرداروں کو مسخر کرنا بیکار ہوگا۔ شاہی لقب سے متعلق اس کا تصور فوجیوں کو اپنے مقصد کی طرف رجوع کرنے کے لئے استعمال کیا گیا تھا۔ ایسا لگتا ہے کہ اوریلین کی اس مہم کی وجہ پامریرین شاہی اعلان اور اس کے نقشوں کو اس کے نقشے سے ہٹانے کی سب سے بڑی وجہ تھی۔ {{Sfn|Watson|2004}} {{Sfn|Young|2003}} قید اور قسمت [ماخذ میں ترمیم کریں]
 
# اوریلین ، زینوبیا کی الوداعی کے بارے میں جانتے ہوئے ، اس نے ایک دستہ بھیجا ، جس نے ملکہ کو یوریشیا عبور کرنے سے پہلے ہی قید کردیا تھا۔ زنوبیا کے اسیر ہونے کی خبر کے فورا. بعد پلمیرا نے دارالحکومت کا سرمایا کیا ، جو 272 اگست کو شہر پہنچا تھا۔ اوریلین نے ملکہ اور ان کے بیٹے کو مقدمے کی سماعت کے لئے ایمیسا بھیجا ، اس کے بعد پالیمارا (لانگینس سمیت) کے بیشتر عدالتی اشرافیہ نے شرکت کی۔ {{Sfn|Downey|2015}} {{Sfn|Watson|2004}} {{Sfn|Downey|2015}} {{Sfn|Watson|2004}} اگسٹن ہسٹری اور جوسمس کے مطابق ، زینوبیا نے اپنے مشیروں پر ان کے اقدامات کا الزام عائد کیا۔ تاہم ، اس مقدمے کی وضاحت کرنے کے لئے کوئی ہم عصر وسائل دستیاب نہیں ہیں ، صرف بعد میں معاندانہ رومن۔ شکست خوردہ ملکہ کی بزدلی شاید اوریلین کی تشہیر تھی۔ اس سے شہنشاہ کو زینوبیا کو خودغرض اور غدار کے طور پر پیش کرنے میں فائدہ ہوا ، اور اس نے پلمینیوں کو ہیرو کی حیثیت سے گفتگو کرنے کی حوصلہ شکنی کی۔ اگرچہ ، اوریلین نے اپنے بیشتر قیدیوں کو ہلاک کردیا تھا ، لیکن اس نے فتح کے سفر میں رانی اور اس کے بیٹے کو پریڈ کرنے سے بچا لیا۔
 
== قید اور قسمت ==
[[فائل:Poikile_quadriportico_Villa_Adriana.jpg|تصغیر| ہیڈرین کا ولا؛ زینوبیا نے مبینہ طور پر اپنے آخری دن ٹائبر میں ہیڈرین کے کمپاؤنڈ کے قریب واقع ایک ولا میں گزارے تھے۔]]
 
# قدیم مورخین نے متضاد اکاؤنٹس چھوڑنے کے بعد سے ایمیسا کے بعد زینوبیا کی قسمت غیر یقینی ہے۔ جوسمس لکھتی ہے کہ روم کے راستے میں باسپورس عبور کرنے سے پہلے ہی اس کی موت ہوگئی۔ اس اکاؤنٹ کے مطابق ، ملکہ بیمار ہوگئی یا خود ہی ہلاک ہوگئی۔ عام طور پر ناقابل اعتماد کرولر ، جان ملالہ ، نے لکھا ہے کہ اورلیان نے زینوبیا کو مشرقی شہروں میں ڈرومری پر رک کر روک دیا تھا۔ انٹیچ میں ، شہنشاہ نے اسے شہر کی آبادی سے تین دن پہلے ہیپو پوڈوم کے ایک پلیٹ فارم پر جکڑا۔ ملالہ نے اپنے مضمون کو یہ لکھ کر اختتام کیا کہ ژینوبیا اوریلین کی فتح میں نمودار ہوا اور پھر اس کا سر قلم کردیا گیا۔
 
# زیادہ تر قدیم مورخین اور جدید اسکالر اس بات سے متفق ہیں کہ زیلوبیا کا مظاہرہ 274 کے اوریلین کی فتح میں ہوا تھا۔ زوزیمس واحد واحد ذریعہ تھا جس نے بتایا کہ ملکہ روم پہنچنے سے پہلے ہی اس کی کھوج کو مشکوک بناتے ہوئے فوت ہوگئی تھی۔ عوامی توہین (جیسا کہ مالز نے بیان کیا ہے) ایک قابل تحسین منظر ہے ، کیوں کہ اوریلین شاید پامیرین بغاوت پر عوام کو دبا دینا چاہتا تھا۔ تاہم ، صرف ملالہ زینوبیا کے لنچنگ کو بیان کرتی ہے۔ دوسرے مورخین کے مطابق اوریلین کی فتح کے بعد ان کی زندگی ختم ہوگئی۔ اگستن ہسٹری میں درج ہے کہ اوریلین نے زینوبیا کو ہدیرین کے ولا کے قریب ، تبور میں ایک ولا دیا ، جہاں وہ اپنے بچوں کے ساتھ رہتی تھی۔ ] زونارس لکھتے ہیں کہ زینوبیا نے ایک رئیس سے شادی کی ، اور سنسلس نے بتایا کہ اس نے رومی سینیٹر سے شادی کی ہے۔ مبینہ طور پر اس نے جس گھر پر قبضہ کیا تھا وہ روم میں سیاحوں کی توجہ کا مرکز بن گیا تھا۔
 
== حوالہ جات ==
<references />
{{حوالہ جات|25em}}
 
=== ماخذ ===
{{refbegin}}
*{{حوالہ کتاب|title=Problems of the modern Middle East in historical perspective: essays in honour of Albert Hourani|last=Abu-Manneh|first=Butrus|publisher=Ithaca Press (for the Middle East Centre, St. Antony's College Oxford)|year=1992|isbn=978-0-86372-164-9|editor-last=Spagnolo|editor-first=John P.|chapter=The Establishment and dismantling of the province of Syria, 1865–1888|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=التشخيص والمنصة: دراسات في المسرح العربي المعاصر|last=Aliksān|first=Jān|publisher=اتحاد الكتاب العرب|year=1989|language=ar|oclc=4771160319|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Imperial Rome AD 193 to 284: The Critical Century|last=Ando|first=Clifford|publisher=Edinburgh University Press|year=2012|isbn=978-0-7486-5534-2|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Syrian Identity in the Greco-Roman World|last=Andrade|first=Nathanael J.|publisher=Cambridge University Press|year=2013|isbn=978-1-107-01205-9|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Egypt from Alexander to the Early Christians: An Archaeological and Historical Guide|last=Bagnall|first=Roger S.|publisher=Getty Publications|year=2004|isbn=978-0-89236-796-2|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Rome in the East: The Transformation of an Empire|last=Ball|first=Warwick|publisher=Routledge|year=2002|isbn=978-1-134-82387-1|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Rome in the East: The Transformation of an Empire|last=Ball|first=Warwick|publisher=Routledge|year=2016|isbn=978-1-317-29635-5|edition=2|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=The History of Zonaras: From Alexander Severus to the Death of Theodosius the Great|last=Banchich|first=Thomas|last2=Lane|first2=Eugene|publisher=Routledge|year=2009|isbn=978-1-134-42473-3|ref=harv}}
*{{حوالہ رسالہ}}
*{{حوالہ کتاب|title=The Origins of Syrian Nationhood: Histories, Pioneers and Identity|last=Booth|first=Marilyn|publisher=Taylor & Francis|year=2011|isbn=978-0-415-61504-4|editor-last=Beshara|editor-first=Adel|chapter=Constructions of Syrian identity in the Women's press in Egypt|ref=harv}}
*{{حوالہ رسالہ}}
*{{حوالہ کتاب|url=https://archive.org/details/ageofsoldierem00brau|title=The Age of the Soldier Emperors: Imperial Rome, A.D. 244–284|last=Brauer|first=George C.|publisher=Noyes Press|year=1975|isbn=978-0-8155-5036-5|ref=harv|url-access=registration}}
*{{حوالہ کتاب|title=Gallienus: A Study in Reformist and Sexual Politics|last=Bray|first=John Jefferson|publisher=Wakefield Press|year=1997|isbn=978-1-86254-337-9|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Ancient Syria: A Three Thousand Year History|last=Bryce|first=Trevor|publisher=Oxford University Press|year=2014|isbn=978-0-19-100292-2|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Atlas of the Ancient Near East: From Prehistoric Times to the Roman Imperial Period|last=Bryce|first=Trevor|last2=Birkett-Rees|first2=Jessie|publisher=Routledge|year=2016|isbn=978-1-317-56210-8|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=The Reign of Cleopatra|last=Burstein|first=Stanley Mayer|publisher=University of Oklahoma Press|year=2007|isbn=978-0-8061-3871-8|ref=harv|orig-year=2004}}
*{{حوالہ کتاب|title=Roman Syria and the Near East|last=Butcher|first=Kevin|publisher=Getty Publications|year=2003|isbn=978-0-89236-715-3|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Modern Arab Historiography: Historical Discourse and the Nation-State|last=Choueiri|first=Youssef|publisher=Routledge|year=2013|isbn=978-1-136-86862-7|edition=revised|ref=harv|orig-year=1989}}
*{{حوالہ رسالہ}}
*{{حوالہ کتاب|title=Harriet Hosmer: A Cultural Biography|last=Culkin|first=Kate|publisher=University of Massachusetts Press|year=2010|isbn=978-1-55849-839-6|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=A Journey to Palmyra: Collected Essays to Remember Delbert R. Hillers|last=Cussini|first=Eleonora|publisher=Brill|year=2005|isbn=978-90-04-12418-9|editor-last=Cussini|editor-first=Eleonora|chapter=Beyond the spindle: Investigating the role of Palmyrene women|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|url=https://www.academia.edu/21959354/_What_Women_Say_and_Do_in_Aramaic_Documents_161-172_in_G._B._Lanfranchi_D._Morandi_Bonacossi_C._Pappi_S._Ponchia_eds_LEGGO_Studies_presented_to_Prof._Frederick_Mario_Fales_on_the_Occasion_of_his_65th_Birthday_Leipziger_Altorientalische_Studien_2_Wiesbaden_Otto_Harrassowitz_2012|title=Leggo! Studies Presented to Frederick Mario Fales on the Occasion of His 65th Birthday|last=Cussini|first=Eleonora|publisher=Otto Harrassowitz Verlag|year=2012|isbn=978-3-447-06659-4|editor-last=Lanfranchi|editor-first=Giovanni B.|series=Leipziger Altorientalistische Studien|volume=2|chapter=What Women Say and Do (in Aramaic Documents)|issn=2193-4436|ref=harv|editor-last2=Morandi Bonacossi|editor-first2=Daniele|editor-last3=Pappi|editor-first3=Cinzia|editor-last4=Ponchia|editor-first4=Simonetta}}
*{{حوالہ کتاب|title=Nick Dear Plays 1: Art of Success; In the Ruins; Zenobia; Turn of the Screw|last=Dear|first=Nick|publisher=Faber & Faber|year=2014|isbn=978-0-571-31843-8|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Rome and Persia in Late Antiquity: Neighbours and Rivals|last=Dignas|first=Beate|last2=Winter|first2=Engelbert|publisher=Cambridge University Press|year=2007|isbn=978-0-521-84925-8|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=The Roman Eastern Frontier and the Persian Wars AD 226–363: A Documentary History|last=Dodgeon|first=Michael H|last2=Lieu|first2=Samuel N. C|publisher=Routledge|year=2002|isbn=978-1-134-96113-9|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=History of Antioch|last=Downey|first=Glanville|publisher=Princeton University Press|year=2015|isbn=978-1-4008-7773-7|ref=harv|orig-year=1961}}
*{{حوالہ کتاب|title=The Crisis of Empire, AD 193–337|last=Drinkwater|first=John|publisher=Cambridge University Press|year=2005|isbn=978-0-521-30199-2|editor-last=Bowman|editor-first=Alan K.|series=The Cambridge Ancient History|volume=12|chapter=Maximinus to Diocletian and the 'crisis'|ref=harv|editor-last2=Garnsey|editor-first2=Peter|editor-last3=Cameron|editor-first3=Averil}}
*{{حوالہ کتاب|title=Seleukid Royal Women: Creation, Representation and Distortion of Hellenistic Queenship in the Seleukid Empire|last=Dumitru|first=Adrian|publisher=Franz Steiner Verlag|year=2016|isbn=978-3-515-11295-6|editor-last=Coşkun|editor-first=Altay|series=Historia – Einzelschriften|volume=240|chapter=Kleopatra Selene: A Look at the Moon and Her Bright Side|issn=0071-7665|ref=harv|editor-last2=McAuley|editor-first2=Alex}}
*{{حوالہ کتاب|title=History of Rome and of the Roman people, from its origin to the Invasion of the Barbarians|last=Duruy|first=Victor|publisher=Jewett|year=1883|volume=VII|translator-last=C. F. Jewett Publishing Company|chapter=II|ol=24136924M|ref=harv|orig-year=1855}}
*{{حوالہ کتاب|title=Between Rome and Persia: The Middle Euphrates, Mesopotamia and Palmyra Under Roman Control|last=Edwell|first=Peter|publisher=Routledge|year=2007|isbn=978-1-134-09573-5|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Boccaccio's Heroines: Power and Virtue in Renaissance Society|last=Franklin|first=Margaret Ann|publisher=Ashgate Publishing, Ltd|year=2006|isbn=978-0-7546-5364-6|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Warrior Queens: Boadicea's Chariot|last=Fraser|first=Antonia|publisher=Hachette UK|year=2011|isbn=978-1-78022-070-3|ref=harv|orig-year=1988}}
*{{حوالہ کتاب|title=Gioachino Rossini: A Research and Information Guide|last=Gallo|first=Denise|publisher=Routledge|year=2012|isbn=978-1-135-84701-2|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Chaucer and the Italian Trecento|last=Godman|first=Peter|publisher=Cambridge University Press|year=1985|isbn=978-0-521-31350-6|editor-last=Boitani|editor-first=Piero|chapter=Chaucer and Boccaccio's Latin Works|ref=harv|orig-year=1983}}
*{{حوالہ کتاب|title=The Fall Of The West: The Death Of The Roman Superpower|last=Goldsworthy|first=Adrian|publisher=Hachette UK|year=2009|isbn=978-0-297-85760-0|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=History of the Jews: From the Reign of Hyrcanus (135 B. C. E) to the Completion of the Babylonian Talmud (500 C. E. )|last=Graetz|first=Heinrich|publisher=Cosimo, Inc.|year=2009|isbn=978-1-60520-942-5|editor-last=Lowy|editor-first=Bella|volume=II|ref=harv|orig-year=1893}}
*{{حوالہ کتاب|title=Works for solo voice of Johann Adolph Hasse, 1699–1783|last=Hansell|first=Sven Hostrup|publisher=Information Coordinators|year=1968|series=Detroit studies in music bibliography|volume=12|oclc=245456|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Das palmyrenische Teilreich|last=Hartmann|first=Udo|publisher=Franz Steiner Verlag|year=2001|isbn=978-3-515-07800-9|language=de|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=A Global History of Modern Historiography|last=Iggers|first=Georg G|last2=Wang|first2=Q. Edward|last3=Mukherjee|first3=Supriya|publisher=Routledge|year=2013|isbn=978-1-317-89501-5|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Notable Acquisitions at the Art Institute of Chicago|last=Kelly|first=Sarah E.|publisher=University of Illinois Press|year=2004|isbn=978-0-86559-209-4|editor-last=Pearson|editor-first=Gail A.|volume=2|chapter=Zenobia, Queen of Palmyra|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Imperial Triumph: The Roman World from Hadrian to Constantine|last=Kulikowski|first=Michael|publisher=Profile Books|year=2016|isbn=978-1-84765-437-3|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Manichaeism in Central Asia and China|last=Lieu|first=Samuel N. C|publisher=Brill|year=1998|isbn=978-90-04-10405-1|editor-last=Emmel|editor-first=Stephen|series=Nag Hammadi and Manichaean Studies|volume=45|issn=0929-2470|ref=harv|editor-last2=Klimkeit|editor-first2=Hans-Joachim}}
*{{حوالہ کتاب|title=Stubborn Theological Questions|last=Macquarrie|first=John|publisher=Hymns Ancient and Modern Ltd|year=2003|isbn=978-0-334-02907-6|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Vassal-Queens and Some Contemporary Women in the Roman Empire|last=Macurdy|first=Grace Harriet|publisher=The John Hopkins Press|year=1937|series=The John Hopkins University Studies in Archaeology|volume=22|oclc=477797611|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=The Grove Book of Opera Singers|last=Macy|first=Laura Williams|publisher=Oxford University Press|year=2008|isbn=978-0-19-533765-5|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Official Power and Local Elites in the Roman Provinces|last=Magnani|first=Stefano|last2=Mior|first2=Paola|publisher=Routledge|year=2017|isbn=978-1-317-08614-7|editor-last=Varga|editor-first=Rada|chapter=Palmyrene Elites. Aspects of Self-Representation and Integration in Hadrian's Age|ref=harv|editor-last2=Rusu-Bolinde|editor-first2=Viorica}}
*{{حوالہ کتاب|title=Lives of the Romans|last=Matyszak|first=Philip|last2=Berry|first2=Joanne|publisher=Thames & Hudson|year=2008|isbn=978-0-500-25144-7|ref=harv}}
*{{حوالہ رسالہ}}
*{{حوالہ کتاب|url=https://archive.org/details/romanneareast31b0000mill|title=The Roman Near East, 31 B.C.-A.D. 337|last=Millar|first=Fergus|publisher=Harvard University Press|year=1993|isbn=978-0-674-77886-3|ref=harv}}
*{{حوالہ رسالہ}}
*{{حوالہ کتاب|title=Narrative and Document in the Rabbinic Canon: The Two Talmuds|last=Neusner|first=Jacob|publisher=Rowman & Littlefield|year=2010|isbn=978-0-7618-5211-7|volume=2|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Greater Syria: The History of an Ambition|last=Pipes|first=Daniel|publisher=Oxford University Press|year=1992|isbn=978-0-19-536304-3|ref=harv|orig-year=1990}}
*{{حوالہ کتاب|title=The Roman Empire at Bay, AD 180–395|last=Potter|first=David S|publisher=Routledge|year=2014|isbn=978-1-134-69477-8|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Histories of the Middle East: Studies in Middle Eastern Society, Economy and Law in Honor of A.L. Udovitch|last=Powers|first=David S.|publisher=Brill|year=2010|isbn=978-90-04-18427-5|editor-last=Roxani|editor-first=Eleni Margariti|chapter=Demonizing Zenobia: The legend of al-Zabbā in Islamic Sources|ref=harv|editor-last2=Sabra|editor-first2=Adam|editor-last3=Sijpesteijn|editor-first3=Petra}}
*{{حوالہ کتاب|title=Gendering the Crown in the Spanish Baroque Comedia|last=Quintero|first=María Cristina|publisher=Routledge|year=2016|isbn=978-1-317-12961-5|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=The Politics and Culture of an Umayyad Tribe: Conflict and Factionalism in the Early Islamic Period|last=Rihan|first=Mohammad|publisher=I.B.Tauris|year=2014|isbn=978-1-78076-564-8|ref=harv}}
*{{حوالہ رسالہ}}
*{{حوالہ کتاب|url=https://archive.org/details/amongruinssyriap0000sahn|title=Among the Ruins: Syria Past and Present|last=Sahner|first=Christian|publisher=Oxford University Press|year=2014|isbn=978-0-19-939670-2|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=The Middle East Under Rome|last=Sartre|first=Maurice|publisher=Harvard University Press|year=2005|isbn=978-0-674-01683-5|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Septimia Zenobia Sebaste|last=Schneider|first=Eugenia Equini|publisher=Roma : "L'Erma" di Bretschneider|year=1993|isbn=978-88-7062-812-8|language=it|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Byzantium and the Arabs in the Sixth Century (Part1: Political and Military History)|last=Shahîd|first=Irfan|publisher=Dumbarton Oaks Research Library and Collection|year=1995|isbn=978-0-88402-214-5|volume=1|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Private Households and Public Politics in 3rd–5th Century Jewish Palestine|last=Sivertsev|first=Alexei|publisher=Mohr Siebeck|year=2002|isbn=978-3-16-147780-5|series=Texts and Studies in Ancient Judaism|volume=90|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|url=https://archive.org/details/womenartistsinhi00slat|title=Women Artists in History: From Antiquity to the Present|last=Slatkin|first=Wendy|publisher=Prentice Hall|year=2001|isbn=978-0-13-027319-2|edition=4|ref=harv|orig-year=1985|url-access=registration}}
*{{حوالہ کتاب|title=The Jews Under Roman Rule: From Pompey to Diocletian|last=Smallwood|first=E. Mary|publisher=Brill|year=1976|isbn=978-90-04-04491-3|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Roman Palmyra: Identity, Community, and State Formation|last=Smith II|first=Andrew M.|publisher=Oxford University Press|year=2013|isbn=978-0-19-986110-1|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Empress Zenobia: Palmyra's Rebel Queen|last=Southern|first=Patricia|publisher=A&C Black|year=2008|isbn=978-1-4411-4248-1|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=The Roman Empire from Severus to Constantine|last=Southern|first=Patricia|publisher=Routledge|year=2015|isbn=978-1-317-49694-6|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Palmyra and Its Empire: Zenobia's Revolt Against Rome|last=Stoneman|first=Richard|publisher=University of Michigan Press|year=2003|isbn=978-0-472-08315-2|ref=harv|orig-year=1992}}
*{{حوالہ کتاب|title=A Journey to Palmyra: Collected Essays to Remember Delbert R. Hillers|last=Teixidor|first=Javier|publisher=Brill|year=2005|isbn=978-90-04-12418-9|editor-last=Cussini|editor-first=Eleonora|chapter=Palmyra in the third century|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Crises and the Roman Empire: Proceedings of the Seventh Workshop of the International Network Impact of Empire, Nijmegen, June 20–24, 2006|last=Vervaet|first=Frederik J.|publisher=Brill|year=2007|isbn=978-90-04-16050-7|editor-last=Hekster|editor-first=Olivier|series=Impact of Empire|volume=7|chapter=The Reappearance of the Supra-Provincial Commands in the Late Second and Early Third Centuries C.E.: Constitutional and Historical Considerations|ref=harv|editor-last2=De Kleijn|editor-first2=Gerda|editor-last3=Slootjes|editor-first3=Daniëlle}}
*{{حوالہ کتاب|title=Aurelian and the Third Century|last=Watson|first=Alaric|publisher=Routledge|year=2004|isbn=978-1-134-90815-8|ref=harv|orig-year=1999}}
*{{حوالہ کتاب|title=Hawthorne, Gender, and Death: Christianity and Its Discontents|last=Weldon|first=Roberta|publisher=Springer|year=2008|isbn=978-0-230-61208-2|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Women in Italy, 1945–1960: An Interdisciplinary Study|last=Wood|first=Mary P.|publisher=Springer|year=2006|isbn=978-0-230-60143-7|editor-last=Morris|editor-first=Penelope|chapter=From Bust to Boom: Women and Representations of Prosperity in Italian Cinema of the Late 1940s and 1950s|ref=harv}}
*{{حوالہ کتاب|title=Rome's Eastern Trade: International Commerce and Imperial Policy 31 BC – AD 305|last=Young|first=Gary K.|publisher=Routledge|year=2003|isbn=978-1-134-54793-7|ref=harv}}
{{Refbegin}}{{refbegin}}
*{{cite book|chapter=The Establishment and dismantling of the province of Syria, 1865–1888|title=Problems of the modern Middle East in historical perspective: essays in honour of Albert Hourani|first=Butrus|last=Abu-Manneh|editor1-first=John P.|editor1-last=Spagnolo|year=1992|publisher=Ithaca Press (for the Middle East Centre, St. Antony's College Oxford)|isbn=978-0-86372-164-9|ref=harv}}
*{{cite book|title=التشخيص والمنصة: دراسات في المسرح العربي المعاصر|language=ar|first=Jān|last=Aliksān|year=1989|publisher=اتحاد الكتاب العرب|OCLC=4771160319|ref=harv}}
*{{cite book|first=Clifford|last=Ando|title=Imperial Rome AD 193 to 284: The Critical Century|year=2012|publisher=Edinburgh University Press|isbn=978-0-7486-5534-2|ref=harv}}
*{{cite book|title=Syrian Identity in the Greco-Roman World|first=Nathanael J.|last=Andrade|publisher=Cambridge University Press|year=2013|isbn=978-1-107-01205-9|ref=harv}}
*{{cite book|title=Egypt from Alexander to the Early Christians: An Archaeological and Historical Guide|first=Roger S.|last=Bagnall|year=2004|publisher=Getty Publications|isbn=978-0-89236-796-2|ref=harv}}
*{{cite book|first=Warwick|last=Ball|title=Rome in the East: The Transformation of an Empire|year=2002|publisher=Routledge|isbn=978-1-134-82387-1|ref=harv}}
*{{cite book|first=Warwick|last=Ball|title=Rome in the East: The Transformation of an Empire|year=2016|publisher=Routledge|edition=2|isbn=978-1-317-29635-5|ref=harv}}
*{{cite book|author1-first=Thomas|author1-last=Banchich|author2-first=Eugene|author2-last=Lane|title=The History of Zonaras: From Alexander Severus to the Death of Theodosius the Great|year=2009|publisher=Routledge|isbn=978-1-134-42473-3|ref=harv}}
*{{cite journal|first=Roger|last=Bland|year=2011|title=The Coinage of Vabalathus and Zenobia from Antioch and Alexandria|journal=The Numismatic Chronicle|publisher=The Royal Numismatic Society|volume=171|ISSN=2054-9202|ref=harv}}
*{{cite book|chapter=Constructions of Syrian identity in the Women's press in Egypt|title=The Origins of Syrian Nationhood: Histories, Pioneers and Identity|first=Marilyn|last=Booth|editor1-first=Adel|editor1-last=Beshara|year=2011|publisher=Taylor & Francis|isbn=978-0-415-61504-4|ref=harv}}
*{{cite journal|first=Glen Warren|last=Bowersock|year=1984|title=The Miracle of Memnon|journal=Bulletin of the American Society of Papyrologists|publisher=The American Society of Papyrologists|volume=21|ISSN=0003-1186|ref=harv}}
*{{cite book|title=The Age of the Soldier Emperors: Imperial Rome, A.D. 244–284|first=George C.|last=Brauer|publisher=Noyes Press|year=1975|isbn=978-0-8155-5036-5|ref=harv|url-access=registration|url=https://archive.org/details/ageofsoldierem00brau}}
*{{cite book|title=Gallienus: A Study in Reformist and Sexual Politics|first=John Jefferson|last=Bray|year=1997|publisher=Wakefield Press|isbn=978-1-86254-337-9|ref=harv}}
*{{cite book|first=Trevor|last=Bryce|title=Ancient Syria: A Three Thousand Year History|year=2014|publisher=Oxford University Press|isbn=978-0-19-100292-2|ref=harv}}
*{{cite book|title=Atlas of the Ancient Near East: From Prehistoric Times to the Roman Imperial Period|author1-first=Trevor|author1-last=Bryce|author2-first=Jessie|author2-last=Birkett-Rees|publisher=Routledge|year=2016|isbn=978-1-317-56210-8|ref=harv}}
*{{cite book|first=Stanley Mayer|last=Burstein|title=The Reign of Cleopatra|origyear=2004|year=2007|publisher=University of Oklahoma Press|isbn=978-0-8061-3871-8|ref=harv}}
*{{cite book|title=Roman Syria and the Near East|first=Kevin|last=Butcher|year=2003|publisher=Getty Publications|isbn=978-0-89236-715-3|ref=harv}}
*{{cite book|title=Modern Arab Historiography: Historical Discourse and the Nation-State|first=Youssef|last=Choueiri|origyear=1989|year=2013|publisher=Routledge|edition=revised|isbn=978-1-136-86862-7|ref=harv}}
*{{cite journal|first=Sally J.|last=Cornelison|year=2002|title=A French King and a Magic Ring: The Girolami and a Relic of St. Zenobius in Renaissance Florence|journal=Renaissance Quarterly|publisher=University of Chicago Press on behalf of the Renaissance Society of America|volume=55|issue=2|ISSN=0034-4338|ref=harv}}
*{{cite book|title=Harriet Hosmer: A Cultural Biography|first=Kate|last=Culkin|year=2010|publisher=University of Massachusetts Press|isbn=978-1-55849-839-6|ref=harv}}
*{{cite book|first=Eleonora|last=Cussini|editor-first=Eleonora|editor-last=Cussini|title=A Journey to Palmyra: Collected Essays to Remember Delbert R. Hillers|chapter=Beyond the spindle: Investigating the role of Palmyrene women|year=2005|publisher=Brill|isbn=978-90-04-12418-9|ref=harv}}
*{{cite book|url=https://www.academia.edu/21959354/_What_Women_Say_and_Do_in_Aramaic_Documents_161-172_in_G._B._Lanfranchi_D._Morandi_Bonacossi_C._Pappi_S._Ponchia_eds_LEGGO_Studies_presented_to_Prof._Frederick_Mario_Fales_on_the_Occasion_of_his_65th_Birthday_Leipziger_Altorientalische_Studien_2_Wiesbaden_Otto_Harrassowitz_2012|first=Eleonora|isbn=978-3-447-06659-4|issn=2193-4436|year=2012|volume=2|series=Leipziger Altorientalistische Studien|publisher=Otto Harrassowitz Verlag|last=Cussini|editor4-last=Ponchia|title=Leggo! Studies Presented to Frederick Mario Fales on the Occasion of His 65th Birthday|editor4-first=Simonetta|editor3-last=Pappi|editor3-first=Cinzia|editor2-last=Morandi Bonacossi|editor2-first=Daniele|editor1-last=Lanfranchi|editor1-first=Giovanni B.|chapter=What Women Say and Do (in Aramaic Documents)|ref=harv}}
*{{cite book|title=Nick Dear Plays 1: Art of Success; In the Ruins; Zenobia; Turn of the Screw|first=Nick|last=Dear|year=2014|publisher=Faber & Faber|isbn=978-0-571-31843-8|ref=harv}}
*{{cite book|author1-first=Beate|author1-last=Dignas|author2-first=Engelbert|author2-last=Winter|title=Rome and Persia in Late Antiquity: Neighbours and Rivals|year=2007|publisher=Cambridge University Press|isbn=978-0-521-84925-8|ref=harv}}
*{{cite book|first=Michael H|last=Dodgeon|first2=Samuel N. C|last2=Lieu|title=The Roman Eastern Frontier and the Persian Wars AD 226–363: A Documentary History|year=2002|publisher=Routledge|isbn=978-1-134-96113-9|ref=harv}}
*{{cite book|title=History of Antioch|first=Glanville|last=Downey|origyear=1961|year=2015|publisher=Princeton University Press|isbn=978-1-4008-7773-7|ref=harv}}
*{{cite book|chapter=Maximinus to Diocletian and the 'crisis'|series=The Cambridge Ancient History|title=The Crisis of Empire, AD 193–337|first=John|last=Drinkwater|editor1-first=Alan K.|editor1-last=Bowman|editor2-first=Peter|editor2-last=Garnsey|editor3-first=Averil|editor3-last=Cameron|volume=12|year=2005|publisher=Cambridge University Press|isbn=978-0-521-30199-2|ref=harv}}
*{{cite book|last=Dumitru|first=Adrian|editor1-first=Altay|editor1-last=Coşkun|editor2-first=Alex|editor2-last=McAuley|year=2016|chapter=Kleopatra Selene: A Look at the Moon and Her Bright Side|title=Seleukid Royal Women: Creation, Representation and Distortion of Hellenistic Queenship in the Seleukid Empire|publisher=Franz Steiner Verlag|series=Historia – Einzelschriften|volume=240|ISSN=0071-7665|isbn=978-3-515-11295-6|ref=harv}}
*{{cite book|first=Victor|last=Duruy|translator=C. F. Jewett Publishing Company|title=History of Rome and of the Roman people, from its origin to the Invasion of the Barbarians|volume=VII|section=II|origyear=1855|year=1883|publisher=Jewett|OL=24136924M|ref=harv}}
*{{cite book|first=Peter|last=Edwell|title=Between Rome and Persia: The Middle Euphrates, Mesopotamia and Palmyra Under Roman Control|year=2007|publisher=Routledge|isbn=978-1-134-09573-5|ref=harv}}
*{{cite book|title=Boccaccio's Heroines: Power and Virtue in Renaissance Society|first=Margaret Ann|last=Franklin|publisher=Ashgate Publishing, Ltd|year=2006|isbn=978-0-7546-5364-6|ref=harv}}
*{{cite book|title=Warrior Queens: Boadicea's Chariot|first=Antonia|last=Fraser|origyear=1988|year=2011|publisher=Hachette UK|isbn=978-1-78022-070-3|ref=harv}}
*{{cite book|title=Gioachino Rossini: A Research and Information Guide|first=Denise|last=Gallo|year=2012|publisher=Routledge|isbn=978-1-135-84701-2|ref=harv}}
*{{cite book|title=Chaucer and the Italian Trecento|chapter=Chaucer and Boccaccio's Latin Works|first=Peter|last=Godman|editor-first=Piero|editor-last=Boitani|origyear=1983|year=1985|publisher=Cambridge University Press|isbn=978-0-521-31350-6|ref=harv}}
*{{cite book|first=Adrian|last=Goldsworthy|title=The Fall Of The West: The Death Of The Roman Superpower|year=2009|publisher=Hachette UK|isbn=978-0-297-85760-0|ref=harv}}
*{{cite book|first=Heinrich|last=Graetz|editor-first=Bella|editor-last=Lowy|title=History of the Jews: From the Reign of Hyrcanus (135 B. C. E) to the Completion of the Babylonian Talmud (500 C. E. )|volume=II|origyear=1893|year=2009|publisher=Cosimo, Inc.|isbn=978-1-60520-942-5|ref=harv}}
*{{cite book|title=Works for solo voice of Johann Adolph Hasse, 1699–1783|first=Sven Hostrup|last=Hansell|year=1968|publisher=Information Coordinators|series=Detroit studies in music bibliography|volume=12|OCLC=245456|ref=harv}}
*{{cite book|first=Udo|last=Hartmann|title=Das palmyrenische Teilreich|year=2001|publisher=Franz Steiner Verlag|language=de|isbn=978-3-515-07800-9|ref=harv}}
*{{cite book|title=A Global History of Modern Historiography|first1=Georg G|last1=Iggers|first2=Q. Edward|last2=Wang|first3=Supriya|last3=Mukherjee|year=2013|publisher=Routledge|isbn=978-1-317-89501-5|ref=harv}}
*{{cite book|chapter=Zenobia, Queen of Palmyra|title=Notable Acquisitions at the Art Institute of Chicago|first=Sarah E.|last=Kelly|editor-first=Gail A.|editor-last=Pearson|year=2004|publisher=University of Illinois Press|volume=2|isbn=978-0-86559-209-4|ref=harv}}
*{{cite book|title=Imperial Triumph: The Roman World from Hadrian to Constantine|first=Michael|last=Kulikowski|publisher=Profile Books|year=2016|isbn=978-1-84765-437-3|ref=harv}}
*{{cite book|first=Samuel N. C|last=Lieu|title=Manichaeism in Central Asia and China|year=1998|publisher=Brill|isbn=978-90-04-10405-1|series=Nag Hammadi and Manichaean Studies|editor1-first=Stephen|editor1-last=Emmel|editor2-first=Hans-Joachim|editor2-last=Klimkeit|volume=45|ISSN=0929-2470|ref=harv}}
*{{cite book|title=Stubborn Theological Questions|first=John|last=Macquarrie|year=2003|publisher=Hymns Ancient and Modern Ltd|isbn=978-0-334-02907-6|ref=harv}}
*{{cite book|title=Vassal-Queens and Some Contemporary Women in the Roman Empire|first=Grace Harriet|last=Macurdy|series=The John Hopkins University Studies in Archaeology|volume=22|year=1937|publisher=The John Hopkins Press|oclc=477797611|ref=harv}}
*{{cite book|title=The Grove Book of Opera Singers|first=Laura Williams|last=Macy|year=2008|publisher=Oxford University Press|isbn=978-0-19-533765-5|ref=harv}}
*{{cite book|chapter=Palmyrene Elites. Aspects of Self-Representation and Integration in Hadrian's Age|title=Official Power and Local Elites in the Roman Provinces|first1=Stefano|last1=Magnani|first2=Paola|last2=Mior|editor1-first=Rada|editor1-last=Varga|editor2-first=Viorica|editor2-last=Rusu-Bolinde|year=2017|publisher=Routledge|isbn=978-1-317-08614-7|ref=harv}}
*{{cite book|first1=Philip|last1=Matyszak|first2=Joanne|last2=Berry|title=Lives of the Romans|year=2008|publisher=Thames & Hudson|isbn=978-0-500-25144-7|ref=harv}}
*{{cite journal|first=Firgus|last=Millar|year=1971|title=Paul of Samosata, Zenobia and Aurelian: the Church, Local Culture and Political Allegiance in Third-Century Syria|journal=Journal of Roman Studies|publisher=The Society for the Promotion of Roman Studies|volume=61|OCLC=58727367|ref=harv|doi=10.2307/300003}}
*{{cite book|first=Fergus|last=Millar|title=The Roman Near East, 31 B.C.-A.D. 337|url=https://archive.org/details/romanneareast31b0000mill|year=1993|publisher=Harvard University Press|isbn=978-0-674-77886-3|ref=harv}}
*{{cite journal|first=Byron|last=Nakamura|year=1993|title=Palmyra and the Roman East|journal=Greek, Roman, and Byzantine Studies|publisher=Duke University, Department of Classical Studies|volume=34|ISSN=0017-3916|ref=harv}}
*{{cite book|title=Narrative and Document in the Rabbinic Canon: The Two Talmuds|volume=2|first=Jacob|last=Neusner|publisher=Rowman & Littlefield|year=2010|isbn=978-0-7618-5211-7|ref=harv}}
*{{cite book|title=Greater Syria: The History of an Ambition|first=Daniel|last=Pipes|origyear=1990|year=1992|publisher=Oxford University Press|isbn=978-0-19-536304-3|ref=harv}}
*{{cite book|first=David S|last=Potter|title=The Roman Empire at Bay, AD 180–395|year=2014|publisher=Routledge|isbn=978-1-134-69477-8|ref=harv}}
*{{cite book|last=Powers|first=David S.|editor1-first=Eleni Margariti|editor1-last=Roxani|editor2-last=Sabra|editor2-first=Adam|editor3-first=Petra|editor3-last=Sijpesteijn|title=Histories of the Middle East: Studies in Middle Eastern Society, Economy and Law in Honor of A.L. Udovitch|chapter=Demonizing Zenobia: The legend of al-Zabbā in Islamic Sources|year=2010|publisher=Brill|isbn=978-90-04-18427-5|ref=harv}}
*{{cite book|title=Gendering the Crown in the Spanish Baroque Comedia|first=María Cristina|last=Quintero|year=2016|publisher=Routledge|isbn=978-1-317-12961-5|ref=harv}}
*{{cite book|title=The Politics and Culture of an Umayyad Tribe: Conflict and Factionalism in the Early Islamic Period|first=Mohammad|last=Rihan|publisher=I.B.Tauris|year=2014|isbn=978-1-78076-564-8|ref=harv}}
*{{cite journal|first=Donelle|last=Ruwe|year=2012|title=Zenobia, Queen of Palmyra: Adelaide O'Keeffe, the Jewish Conversion Novel, and the Limits of Rational Education|journal=Eighteenth-Century Life|publisher=Duke University Press|volume=36|issue=1|ISSN=0098-2601|ref=harv}}
*{{cite book|title=Among the Ruins: Syria Past and Present|url=https://archive.org/details/amongruinssyriap0000sahn|first=Christian|last=Sahner|year=2014|publisher=Oxford University Press|isbn=978-0-19-939670-2|ref=harv}}
*{{cite book|first=Maurice|last=Sartre|title=The Middle East Under Rome|year=2005|publisher=Harvard University Press|isbn=978-0-674-01683-5|ref=harv}}
*{{cite book|title=Septimia Zenobia Sebaste|language=it|first=Eugenia Equini|last=Schneider|year=1993|publisher=Roma : "L'Erma" di Bretschneider|isbn=978-88-7062-812-8|ref=harv}}
*{{cite book|first=Irfan|last=Shahîd|title=Byzantium and the Arabs in the Sixth Century (Part1: Political and Military History)|volume=1|year=1995|publisher=Dumbarton Oaks Research Library and Collection|isbn=978-0-88402-214-5|ref=harv}}
*{{cite book|title=Private Households and Public Politics in 3rd–5th Century Jewish Palestine|series=Texts and Studies in Ancient Judaism|volume=90|first=Alexei|last=Sivertsev|year=2002|publisher=Mohr Siebeck|isbn=978-3-16-147780-5|ref=harv}}
*{{cite book|title=Women Artists in History: From Antiquity to the Present|first=Wendy|last=Slatkin|origyear=1985|year=2001|edition=4|publisher=Prentice Hall|isbn=978-0-13-027319-2|ref=harv|url-access=registration|url=https://archive.org/details/womenartistsinhi00slat}}
*{{cite book|title=The Jews Under Roman Rule: From Pompey to Diocletian|first=E. Mary|last=Smallwood|publisher=Brill|year=1976|isbn=978-90-04-04491-3|ref=harv}}
*{{cite book|title=Roman Palmyra: Identity, Community, and State Formation|first=Andrew M.|last=Smith II|publisher=Oxford University Press|year=2013|isbn=978-0-19-986110-1|ref=harv}}
*{{cite book|title=Empress Zenobia: Palmyra's Rebel Queen|first=Patricia|last=Southern|publisher=A&C Black|year=2008|isbn=978-1-4411-4248-1|ref=harv}}
*{{cite book|title=The Roman Empire from Severus to Constantine|first=Patricia|last=Southern|publisher=Routledge|year=2015|isbn=978-1-317-49694-6|ref=harv}}
*{{cite book|first=Richard|last=Stoneman|title=Palmyra and Its Empire: Zenobia's Revolt Against Rome|origyear=1992|year=2003|publisher=University of Michigan Press|isbn=978-0-472-08315-2|ref=harv}}
*{{cite book|first=Javier|last=Teixidor|editor-first=Eleonora|editor-last=Cussini|title=A Journey to Palmyra: Collected Essays to Remember Delbert R. Hillers|chapter=Palmyra in the third century|year=2005|publisher=Brill|isbn=978-90-04-12418-9|ref=harv}}
*{{cite book|chapter=The Reappearance of the Supra-Provincial Commands in the Late Second and Early Third Centuries C.E.: Constitutional and Historical Considerations|title=Crises and the Roman Empire: Proceedings of the Seventh Workshop of the International Network Impact of Empire, Nijmegen, June 20–24, 2006|series=Impact of Empire|volume=7|first=Frederik J.|last=Vervaet|editor1-first=Olivier|editor1-last=Hekster|editor2-first=Gerda|editor2-last=De Kleijn|editor3-first=Daniëlle|editor3-last=Slootjes|year=2007|publisher=Brill|isbn=978-90-04-16050-7|ref=harv}}
*{{cite book|first=Alaric|last=Watson|title=Aurelian and the Third Century|origyear=1999|year=2004|publisher=Routledge|isbn=978-1-134-90815-8|ref=harv}}
*{{cite book|first=Roberta|last=Weldon|title=Hawthorne, Gender, and Death: Christianity and Its Discontents|year=2008|publisher=Springer|isbn=978-0-230-61208-2|ref=harv}}
*{{cite book|title=Women in Italy, 1945–1960: An Interdisciplinary Study|chapter=From Bust to Boom: Women and Representations of Prosperity in Italian Cinema of the Late 1940s and 1950s|first=Mary P.|last=Wood|editor-first=Penelope|editor-last=Morris|year=2006|publisher=Springer|isbn=978-0-230-60143-7|ref=harv}}
*{{cite book|title=Rome's Eastern Trade: International Commerce and Imperial Policy 31 BC – AD 305|first=Gary K.|last=Young|publisher=Routledge|year=2003|isbn=978-1-134-54793-7|ref=harv}}
{{refend}}
<nowiki>
[[زمرہ:رومی سلطنت]]</nowiki>